Siddhivinayak Temple: तिरुपति लड्डू विवाद के बीच मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर के लड्डू ट्रे में मिले चूहे के बच्चे को लेकर विवाद छिड़ गया है. स्वच्छता को लेकर मंदिर प्रशासन ने कहा कि ये सब हमारी छवि को धूमिल करने की साजिश की जा रही है. सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो और फोटो शेयर हो रही हैं, जिसमें कथित तौर पर लड्डुओं की एक ट्रे में नवजात चूहे को देखा जा सकता है. इसके बाद सोशल मीडिया पर मंदिर में बनने वाले प्रसाद की स्वच्छता पर सवाल उठने लगे. हालांकि, मंदिर प्रशासन ने स्वच्छता को लेकर लगाए गए आरोपों से इनकार कर दिया है.
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सदा सर्वणकर ने कहा कि मीडिया में जो जगह दिखाई गई है, वह मंदिर परिसर का हिस्सा नहीं है. उन्होंने कहा कि मंदिर में लड्डू बनाने के लिए 25 कर्मचारी हैं, जो चौबीसों घंटे शिफ्ट में काम करते हैं.
मंदिर के बयान के अनुसार सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें दिखाई जा रही हैं वह सिद्धिविनायक मंदिर परिसर की नहीं है. सिद्धिविनायक मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए कर्मचारी 24 घंटे अलग-अलग शिफ्ट में काम करते हैं.
Amid the ongoing row over Tirupati laddus, a purported video of mice on the prasad packets of the Siddhivinayak Temple here is making rounds on social media, sparking concerns.
— The Siasat Daily (@TheSiasatDaily) September 24, 2024
The Shree Siddhivinayak Ganapati Temple Trust (SSGT) has, however, denied the allegation and said it… pic.twitter.com/ueNrawFduN
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सदा सर्वणकर ने कहा कि इस तरह कि अस्वच्छ स्थितियों में लड्डू बनाने की कोई संभावना ही नहीं है. तिरुपति मंदिर को लेकर उठे विवाद के बाद हमारे मंदिर परिसर का पूरा निरीक्षण हुआ. इस निरीक्षण में पाया गया कि मंदिर में सभी सुरक्षा और स्वच्छता प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. मंदिर में स्वच्छता का हम विशेष ध्यान रखते हैं. खासकर उस जगह का जहां पर प्रसाद बनाया जाता है.
मंदिर प्रशासन की ओर से कहा गया कि शायद जानबूझकर इस तरह की अफवाह फैलाकर मंदिर कि छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है. मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए प्रीमियम घी सहित उच्चतम गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग किया जाता है. प्रसाद बनाने से पहले हर एक वस्तु का लैब टेस्ट किया जाता है. लैब टेस्ट होने के बाद ही हम सामग्री को लड्डू बनाने में इस्तेमाल करते हैं.