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बॉम्बे हाईकोर्ट ने बकरीद और उर्स में शर्त के साथ पशु बलि की अनुमति दी

ट्रस्ट का कहना था कि यह बलि निजी जमीन पर होती है, जो किले से 1.4 किलोमीटर दूर है, और यह एक पुरानी परंपरा है. इस दौरान बलि का मांस तीर्थयात्रियों और आसपास के ग्रामीणों में बांटा जाता है.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Bombay HC Permits Animal Sacrifice During Bakrid And Urs At Kolhapur Vishalgad Fort Dargah

कोल्हापुर के विशालगढ़ किले में स्थित हजरत पीर मलिक रेहान मीरा साहेब दरगाह पर बकरीद और उर्स के दौरान पशु बलि की अनुमति बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को दी. कोर्ट ने यह अनुमति न केवल दरगाह ट्रस्ट को, बल्कि धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेने वाले श्रद्धालुओं को भी दी. यह फैसला जस्टिस नीला गोखले और जस्टिस फिरदोश पूनीवाला की अवकाश पीठ ने सुनाया.

हजरत पीर मलिक रेहान मीरा साहेब दरगाह ट्रस्ट ने पुरातत्व विभाग के उपनिदेशक के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें किले के परिसर में पशु बलि पर रोक लगाई गई थी. ट्रस्ट का कहना था कि यह बलि निजी जमीन पर होती है, जो किले से 1.4 किलोमीटर दूर है, और यह एक पुरानी परंपरा है. इस दौरान बलि का मांस तीर्थयात्रियों और आसपास के ग्रामीणों में बांटा जाता है.

कोर्ट का फैसला और शर्तें

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 14 जून 2024 को एक अन्य पीठ ने इस मुद्दे पर विचार करते हुए पशु बलि की अनुमति दी थी. उसी आदेश को आधार मानते हुए कोर्ट ने 7 जून को होने वाली बकरीद और 8 से 12 जून तक चलने वाले उर्स के लिए बलि की अनुमति दी. हालांकि, कोर्ट ने कुछ शर्तें भी लागू कीं:
पशु बलि केवल निजी और बंद जगह पर होगी, जो श्री मुबारक उस्मान मुजावर के स्वामित्व वाला गेट नंबर 19 है.

इन शर्तों का सख्ती से पालन करना होगा.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह अनुमति दरगाह ट्रस्ट के साथ-साथ बलि के लिए आने वाले श्रद्धालुओं पर भी लागू होगी.

पुलिस के समय प्रतिबंध पर कोर्ट की टिप्पणी

दरगाह ट्रस्ट के वकीलों, सतीश तालेकर और माधवी अय्यपन, ने कोर्ट को बताया कि पुलिस शाम 5 बजे के बाद दरगाह में प्रवेश की अनुमति नहीं दे रही है. इस पर कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर नियमित कोर्ट में सुनवाई होगी.

पुरातत्व विभाग का आदेश और विवाद

दरगाह ट्रस्ट ने 2023 में कोर्ट का रुख किया था, जब पुरातत्व विभाग ने महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल अधिनियम का हवाला देते हुए किले में पशु बलि पर रोक लगा दी थी. विभाग का यह आदेश 1998 के औरंगाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले पर आधारित था, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर देवी-देवताओं के नाम पर पशु बलि पर रोक लगाई गई थी. ट्रस्ट ने तर्क दिया कि यह बलि सार्वजनिक स्थान पर नहीं, बल्कि निजी जमीन पर होती है.