पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई के भीतर दरार दिखने लगी है. वरिष्ठ भाजपा नेता दिलीप घोष के एक ट्वीट ने इन अटकलों को हवा दी है. दरअसल, दिलीप घोष ने एक ट्वीट किया है, जिससे जाहिर होता है पश्चिम बंगाल भाजपा इकाई में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा. दिलीप घोष ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के एक कथन का हवाला देते हुए कहा, 'हमें एक बात ध्यान में रखनी चाहिए. पार्टी के एक भी पुराने कार्यकर्ता की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए. यदि आवश्यक हो तो 10 नए कार्यकर्ताओं को अलग कर देना चाहिए क्योंकि पुराने कार्यकर्ता ही हमारी जीत की गारंटी होते हैं. नए कार्यकर्ताओं पर जल्द भरोसा करना उचित नहीं है.'
Keep one thing in mind: even one old Karyakarta of the party should not be neglected. If necessary, let ten new Karyakartas be separated. Because the old workers are the guarantee of our victory. Trusting new Karyakartas too quickly is not advisable.
— Dilip Ghosh (Modi Ka Parivar) (@DilipGhoshBJP) June 6, 2024
- Atal Bihari Vajpayee pic.twitter.com/BsboMn7CMh
दिलीप घोष का यह बयान बर्धमान-दुर्गापुर सीट पर टीएमसी उम्मीदवार कीर्ति आजाद से 1.38 लाख वोटों से बेहद चौंकाने वाली हार के बाद आया है. चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने दावा किया था कि वह इस बार पश्चिम बंगाल में 30 या इससे ज्यादा सीटें जीत रही है लेकिन वह इस बार 12 सीटों पर ही सिमट गई, जबकि 2019 में उसने राज्य में 18 सीटें जीती थीं.
मेदिनीपुर सीट से लड़ना चाहते थे घोष
राज्य के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष घोष इससे पहले मेदिनीपुर लोकसभा सीट से सांसद थे. हालांकि इस लोकसभा चुनाव में उन्हें बर्धमान-दुर्गापुर सीट जीतने की जिम्मेदारी दी गई थी जबकि मेदिनीपुर सीट से भाजपा ने आसनसोल दक्षिण से वर्तमान विधायक अग्निमित्रा पॉल को उम्मीदवार बनाया था.
सुवेंदु अधिकारी पर साधा निशाना
हालांकि उम्मीदवारों का यह फेरबदल भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने किया था, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय चुनाव समिति ने यह कदम राज्य में भाजपा इकाई के अध्यक्ष सुवेंदु अधिकारी के कहने पर उठाया. सुवेंदु अधिकारी 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे.
घोष को इस बात को लेकर नाराजगी है कि उन्हें एक नए कार्यकर्ता (सुवेंदु अधिकारी) के कहने पर ऐसी जगह से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा गया जहां टीएमसी के खिलाफ चुनाव जीतना बेहद कठिन था. हालांकि घोष ने कहा कि उन्होंने चुनाव जीतने की पूरी कोशिश की.