दिल्ली में वायु प्रदूषण के नाम पर चल रहा बड़ा स्क्रैपिंग स्कैम, पुलिस की मिलीभगत से स्क्रैपर दे रहे अंजाम, हो जाएं सावधान

दिल्ली में हर साल करीब 1 लाख बाइक और 30 हजार कार काटी जा रही हैं. दिल्ली सरकार की ओर से अधिकृत 17 स्क्रैपर्स प्रदूषण के नाम पर वाहन मालिक को बिना बताए ही इस करतूत को अंजाम दे रहे हैं.

Imran Khan claims

अगर आप 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल कार से दिल्ली जा रहे हैं तो सावधान हो जाएं. पलक झपकते ही आपकी कार गायब हो सकती है. स्क्रैप गैंग की ऐसी गाड़ियों पर सख्त नजर है. यह गैंग गाड़ी का नंबर देखकर पता लगा लेता है कि गाड़ी कितनी पुरानी है और इसके बाद मौका मिलते ही वो आपकी गाड़ी को प्रदूषण के नाम पर उठा ले जाते हैं. आपके पास प्रदूषण सर्टिफिकेट है या नहीं इसका कोई फर्क नहीं पड़ता. आपको जानकर हैरानी होगी कि स्क्रैप गैंग पुलिस की मिलीभगत से इस कार्य को अंजाम देता है. 

हर साल 1 लाख बाइक और 30 हजार कार कट रहीं
बता दें कि दिल्ली में हर साल करीब 1 लाख बाइक और 30 हजार कार काटी जा रही हैं. दिल्ली सरकार की ओर से अधिकृत 17 स्क्रैपर्स प्रदूषण के नाम पर वाहन मालिक को बिना बताए ही इस करतूत को अंजाम दे रहे हैं.

पुलिस वालों को मिलते हैं 1500 रुपए

मजे की बात ये है कि जिस प्रदूषण के नाम पर गाड़ी काटी जा रही है उसी प्रदूषण करने वाले इंजन का नंबर मिटाकर उसे खुलेआम बेच दिया जाता है.  गाड़ी कटने के बाद बाइक मालिक को तो 1500 रुपए मिल जाते हैं जबकि स्क्रैपर उस एक बाइक 10-20 हजार रुपए कमाता है, वहीं कार मालिक को 16-18 हजार रुपए दिए जाते हैं और स्क्रैपर उससे 35 से 1 लाख रुपए तक कमाता है. इस पूरे सिंडिकेट में बाइक उठवाले के लिए पुलिसवाले को 1500 रुपए मिलते हैं. वहीं गाड़ी लाने के 400 और शिकार तलाशने के 600 रुपए दिए जाते हैं.

बेहतर कंडीशन में होती हैं 90% गाड़ियां

क्योंकि स्क्रैप के लिए उठाई जाने वाली 90% गाड़ियां बेहतर कंडीशन में होती हैं इसलिए इनके हर पार्ट की अच्छी कीमत मिलती है. अपने नेटवर्क को चलाने के लिए ये स्क्रैपर पुलिस वालों को भी पैसा खिलाते हैं जिससे इनका धंधा बेरोकटोक चलता है. साथ ही एक बार गाड़ी स्क्रैपर के हाथों में गई तो उसे छुड़ाने के लिए काफी कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है और तमाम तरह की खर्च खराबी होती है इसलिए 90% लोग अपनी गाड़ियों को छुड़ाने नहीं आते.

India Daily