Jagannath Rath Yatra: ओडिशा के पुरी जिले में रविवार की सुबह एक बड़ा हादसा हो गया, जब गुंडिचा मंदिर के पास सरधाबली क्षेत्र में भगदड़ मच गई. हादसे में कम से कम तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए. यह हादसा रथ यात्रा के बाद की अगली सुबह करीब 4 बजे से 5 बजे के बीच हुआ, जब भारी संख्या में श्रद्धालु देवताओं के रथों के दर्शन के लिए एकत्र हुए थे.
पुरी जिला मुख्यालय अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक, मृतकों की पहचान 80 वर्षीय प्रेमकांत मोहंती, 36 वर्षीय बसंती साहू और 42 वर्षीय प्रभाती दास के रूप में की गई है. हादसे के बाद से पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा और घायलों को तुरंत इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भगदड़ की स्थिति तब गंभीर हो गई जब लकड़ी से लदे दो ट्रक भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में घुसने लगे. इससे श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ की स्थिति बन गई. चिन्मय पात्रा नामक एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, "संकीर्ण सभा स्थल, सीमित पुलिस उपस्थिति और ताड़ के लट्ठों की वजह से स्थिति बेहद खतरनाक हो गई."
घटना पर दुख जताते हुए ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा, 'तीन मौतों से जुड़ी इस त्रासदी ने हमें बहुत दुखी किया है. हम पूरी जांच करेंगे और जिन लोगों की लापरवाही के कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.' उन्होंने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और प्रशासन को क्राउड मैनेजमेंट को लेकर विशेष दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है.
स्थानीय लोगों की मानें तो, 'शुक्रवार की रथ यात्रा में भी ऐसी ही समस्या आई थी, जब भगवान जगन्नाथ का रथ अत्यधिक भीड़ के कारण नहीं खींचा जा सका था. रविवार की त्रासदी एक विनाशकारी पुनरावृत्ति थी.' यह पहली बार है जब गुंडिचा मंदिर के बाहर ऐसी भगदड़ की घटना घटी है.
हादसे की भयावहता इस बात से समझी जा सकती है कि रथ यात्रा और भगदड़ के कारण करीब 750 श्रद्धालुओं को अस्पताल ले जाना पड़ा. स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, 230 श्रद्धालुओं को संक्रामक रोग अस्पताल (आईडीएच) में भर्ती कराया गया जबकि 520 से अधिक श्रद्धालुओं का इलाज पुरी जिला मुख्यालय अस्पताल (डीएचएच) में हुआ. गंभीर रूप से बीमार एक श्रद्धालु को कटक स्थित एससीबी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है. वर्तमान में कम से कम 12 श्रद्धालु ICU में भर्ती हैं और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है.
इस घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि बड़े धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन को लेकर प्रशासन को और सख्त कदम उठाने होंगे. श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देना अब समय की मांग बन गई है.