Bharat Forecasting System: भारत सरकार 26 मई, 2025 को एक नई ‘भारत मौसम पूर्वानुमान प्रणाली’ (Bharat Forecasting System - BFS) का उद्घाटन करने जा रही है, जो मौसम विभाग को अधिक सटीक और स्थानीय मौसम पूर्वानुमान देने में सक्षम बनाएगी. पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) द्वारा विकसित इस सिस्टम की खासियत यह है कि यह 6 किलोमीटर के संकल्पना (Resolution) के साथ मौसम की भविष्यवाणी करेगा.
इस नए प्रणाली से मौसम विभाग को अब छोटे-छोटे मौसम बदलावों का सटीक पूर्वानुमान देने में मदद मिलेगी. एम. रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'अब हम अधिक स्थानीय और सटीक मौसम पूर्वानुमान जारी कर पाएंगे.' यह प्रणाली पिछले साल IITM परिसर में स्थापित किए गए नए सुपरकंप्यूटर ‘अर्का’ (Arka) की मदद से काम करेगी. 'अर्का' की क्षमता 11.77 पेटाफ्लॉप्स (कंप्यूटर प्रोसेसिंग गति मापने की एक इकाई) है और इसकी स्टोरेज क्षमता 33 पेटाबाइट्स (1 पेटाबाइट = 1000 टेराबाइट्स) है. इसके कारण अब मौसम पूर्वानुमान के लिए डेटा प्रोसेसिंग बेहद तेज हो गई है.
IITM के शोधकर्ता पार्थसारथी मुखोपाध्याय ने बताया कि, 'पहले ‘प्रत्युष’ सुपरकंप्यूटर को मौसम मॉडल रन करने में 10 घंटे लगते थे, जबकि 'अर्का' अब वही काम सिर्फ 4 घंटे में कर देता है.' अब तक मौसम पूर्वानुमान मॉडल 12 किलोमीटर के ग्रिड पर आधारित थे, लेकिन BFS 6 किलोमीटर के ग्रिड पर काम करेगा, जो अधिक सटीक और स्थानीय पूर्वानुमान के लिए सक्षम होगा. इसके तहत मौसम विभाग अब 'नाउकास्ट' यानी अगले 2 घंटे का मौसम पूर्वानुमान भी जारी कर सकेगा.
इस सिस्टम के तहत देशभर में 40 Doppler Weather Radars से डेटा प्राप्त होगा. इससे मौसम विभाग को न केवल सटीक और स्थानीय पूर्वानुमान मिलेगा, बल्कि आने वाले दिनों में राडार की संख्या बढ़ाकर 100 तक किया जाएगा, जिससे अब पूरे देश में मौसम की सटीक भविष्यवाणी की जा सकेगी. BFS प्रणाली विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के लिए डिजाइन की गई है, जो 30 डिग्री उत्तर और 30 डिग्री दक्षिण अक्षांशों के बीच फैला हुआ है. भारत का मुख्यभूमि इस क्षेत्र में आता है यानी BFS प्रणाली पूरे भारत में कार्यरत होगी.
पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह सोमवार (26 मई, 2025) को इस प्रणाली का उद्घाटन करेंगे. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यह भारत के मौसम विज्ञान में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे अब पंचायत स्तर तक सटीक मौसम पूर्वानुमान संभव होगा, जो आपदा जोखिम में कमी, कृषि, जल संसाधन प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए बेहद उपयोगी होगा.'