Strike And Chakka Jam Difference: आज ट्रेड यूनियनों ने देशभर में भारत बंद का ऐलान किया गया है. यह बंद कई ट्रेड यूनियनों और संगठनों ने मिलकर बुलाया है. बता दें कि इस हड़ताल में 25 करोड़ से ज्यादा लोग शामिल हो सकते हैं. कई पार्टी के बड़े नेता भी इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बने हैं. बिहार की बात करें तो राजद नेता तेजस्वी यादव, लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, CPI महासचिव डी राजा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के नेता दीपांकर भट्टाचार्य और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम बिहार बंद विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए.
भारत बंद या हड़ताल को लेकर लोगों के मन में कई सवाल आते हैं. कई लोग बंद और हड़ताल को एक ही समझ लेते हैं, जबकि इन दोनों में फर्क होता है. अब यह फर्क क्या है, चलिए बताते हैं आपको यहां.
भारत बंद और हड़ताल सुनने में और देखने में तो लगभग एक जैसे ही होते हैं. लेकिन दोनों में कुछ फर्क होता है. जब कोई संगठन बंद का ऐलान करता है तो वो और उनके समर्थक काम करना बंद कर देते हैं. बता दें कि बंद में आमतौर पर सिर्फ वही लोग शामिल नहीं होते जो बंद का आह्वान करते हैं, बल्कि उनके साथ दूसरे वर्ग के लोग भी उनका इसमें सपोर्ट करते हैं और कामकाज बंद कर देते हैं.
अब बात करते हैं हड़ताल की तो यह किसी एक खास वर्ग या संगठन की तरफ से की जाती है. इसमें सिर्फ वही लोग काम रोकते हैं जो उस संगठन से जुड़े होते हैं. इसके अलावा बाकी के लोग अपना काम रोज की तरह ही करते हैं. उन पर इस हड़ताल का कोई असर नहीं पड़ता है.
बंद और हड़ताल की बात तो हो गई, अब धरना क्या होता है ये भी जान लेते हैं. यह एक तरह का शांतिपूर्ण विरोध होता है. इसमें लोग एक ही जगह पर इक्ट्ठा होते हैं और अपनी बात सरकार या प्रशासन तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं. यह आमतौर पर बैनर-पोस्टर लेकर शांतिपूर्वक बैठने का तरीका होता है. धरने का मकसद केवल अपनी शिकायतों या मांगों को सरकार तक पहुंचाना होता है.
चक्का जाम की बात करें तो इसमें लोग सड़कों को रोक देते हैं. इसका असर गाड़ियों, बसें और ट्रेनों पर पड़ता है. यह इसलिए किया जाता है कि जिससे सरकार पर ज्यादा दबाव बनाया जाता है. इसका असर आम जनता पर बहुत ज्यादा पड़ता है. कई बार दूसरे लोगों के अधिकारों का भी हनन होता है.