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Baba Siddiqui: बाबा सिद्दिकी के बाहर जाने से कैसे कांग्रेस को लगा झटका, क्यों अजित पवार की NCP को होगा फायदा

Baba Siddiqui and Ajit Pawar: बाबा सिद्दीकी ने कांग्रेस से 48 साल पुराना साथ खत्म कर लिया है. ये कांग्रेस के लिए मुंबई में बड़ा झटका है और राकापा चीफ अजीत पवार के लिए बड़ा फायदा है.

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Baba Siddiqui Ajit Pawar

लोकसभा चुनाव से पहले मुंबई कांग्रेस को एक झटका लगा है. बांद्रा बेल्ट से उसके हाई-प्रोफाइल चेहरे बाबा सिद्दीकी ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. X पर अपने इस्तीफे की घोषणा की. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में उनकी यात्रा 48 वर्षों तक चलने वाली रही. 

जीशान सिद्दीकी भी छोड़ सकते हैं

उन्होंने ये भी कहा कि वे कुछ चीजें कहना चाहते थे लेकिन वे बातें अनकही ही ठीक हैं. सिद्दीकी के इस कदम को लेकर काफी समय से अटकलें तेज थीं. कांग्रेस को दोहरा झटका ये है कि सिद्धीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी भी अपने पिता के नक्शेकदम पर चल सकते हैं. जीशान वर्तमान में बांद्रा पूर्व से कांग्रेस विधायक होने के साथ-साथ युवा कांग्रेस की मुंबई इकाई के प्रमुख भी हैं.

कांग्रेस निराश

सिद्दीकी को बॉलीवुड में उनके प्रभाव के लिए भी जाना जाता है, उनकी वार्षिक इफ्तार पार्टियों में शाहरुख खान और सलमान खान से लेकर संजय दत्त तक प्रमुख फिल्म सितारे शामिल होते थे. 

अब पूर्व मंत्री और तीन बार के विधायक 66 वर्षीय सिद्दीकी के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाले राकांपा गुट में शामिल होने की संभावना है. मुंबई कांग्रेस प्रमुख वर्षा गायकवाड़ ने सिद्दीकी के पार्टी छोड़ने के फैसले को "निराशाजनक और स्वार्थी" बताया.

अजीत की एनसीपी के लिए फायदा

एक तरफ ये कांग्रेस के लिए झटका है तो दूसरी ओर अजीत की एनसीपी शहर में अपना आधार बढ़ाने के लिए मुंबई में अल्पसंख्यक समुदाय में सिद्दीकी के प्रभाव का फायदा उठाना चाह रही है. अभी शहर में राकांपा के अध्यक्ष समीर भुजबल हैं, जो वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल के भतीजे हैं. मगर सूत्रों का कहना है कि पार्टी किसी "मुंबई वाले चेहरे" को अध्यक्ष बना सकती है. राकांपा आगामी चुनाव में बांद्रा पूर्व सीट जीतने के लिए जीशान को अपने साथ लाना चाहता है. अभी पश्चिम सीट राकांपा के सहयोगी बीजेपी के पास है, जिसे बीजेपी मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ही संभाल रहे हैं.

कांग्रेस के लिए बड़ा झटका ये भी है कि पवार ने दावा किया है कि सिद्दीकी के अलावा कुछ और नेता भी 11 फरवरी को उनकी पार्टी में शामिल हो जाएंगे. उन्होंने अपनी पार्टी में कुछ और नेताओं के जुड़ने का खुद भी आग्रह किया है. 

पहले भी लग चुका है झटका

इससे पहले, मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस छोड़ कर शिंदे की शिवसेना में जाने का फैसला किया था. उनके साथ और भी कई लोग कांग्रेस से अलग हो कर शिवसेना में आए. इससे कांग्रेस को नुकसान हुआ. इससे कांग्रेस की राजनीति में भी फर्क पड़ सकता है, जब चुनाव होंगे.