Ayodhya ke ram ramlala moorti history: अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा अगले सप्ताह सोमवार को होनी है. राम जन्मभूमि पर तैयार भव्य मंदिर के गर्भगृह में रामलला की 51 इंच लंबी मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठित किया जाएगा. आपको जानकर ये हैरानी होगी कि राम मंदिर आंदोलन के इतिहास में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली रामलला की ये चौथी मूर्ति होगी. जी हां, इससे पहले राम मंदिर में रामलला की तीन मूर्तियां स्थापित हो चुकी हैं. हम आपको आज रामलला की चारों मूर्तियों की कहानी के बारे में बताएंगे. ये बताएंगे कि पिछली तीन मूर्तियां राम मंदिर में कब विराजित की गईं? आखिर तीन मूर्तियां कब-कब और कैसे बदल गईं? फिलहाल, ये तीनों मूर्तियां कहां हैं? चौथी मूर्ति जो राम मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित की जाएगी, उस मूर्ति के बारे में भी हम आपको जानकारी देंगे.
रामलला की पिछली तीन मूर्तियों की कहानी बहुत ही दिलचस्प है. दिलचस्प इसलिए भी क्योंकि ये मूर्तियां राम मंदिर आंदोलन के इतिहास के साथ बदलती गईं हैं. अब इतिहास ने एक बार फिर करवट लेकर वर्तमान में आया है तो एक बार फिर रामलला की मूर्ति बदल गई है. रामलला के गर्भगृह में विराजमान होने वाली मूर्ति पिछली तीन मूर्तियों से थोड़ी अलग होगी. हालांकि ये मूर्ति भी बालरूप में ही होगी. रामलला की पिछली तीन मूर्तियों के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं. सबसे पहले रामलला की पहली मूर्ति की बात करते हैं.
मूर्ति की बात से पहले भगवान राम मंदिर के इतिहास को थोड़ा जान लेते हैं. गीता प्रेस की ओर से प्रकाशित किताब 'अयोध्या दर्शन' के मुताबिक, ईस्वी पूर्व पहली शताब्दी में महाराजा विक्रमादित्य ने रामजन्मभूमि पर 84 स्तंभों और 7 कलश वाले भव्य राम मंदिर का निर्माण कराया था. 16वीं शताब्दी की शुरुआत में ही मुगलों ने अयोध्या समेत राम मंदिर पर आक्रमण कर दिया. इस दौरान मंदिर के पुजारी ने मंदिर के अंदर विराजमान रामलला की मूर्ति को मुगलों के हाथों से बचाने के लिए सरयू नदी में प्रवाहित कर दिया. दावा किया जाता है कि 18वीं सदी में एक पुजारी को सपना आया, जिसके बाद इस मूर्ति को निकाला गया. फिलहाल, रामलला की पहली मूर्ति अयोध्या के स्वर्गद्वार मोहल्ले के कालेराम मंदिर में है.
दूसरी मूर्ति की कहानी 22-23 दिसंबर 1949 की रात से जुड़ी है. दरअसल, ये वो तारीख थी, जिस दिन से राम मंदिर आंदोलन को नई धार मिली. कहानी के मुताबिक, इस रात विवादित ढांचे में रामलला की मूर्ति प्रकट हुई और वहां मौजूद करीब 5000 रामभक्तों की भीड़... भय प्रकट कृपाला, दीन दयाला, कौशल्या हितकारी.. का जाप करने लगे. 23 दिसंबर की सुबह पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज किया और करीब एक हफ्ते बाद 29 दिसंबर को विवादित ढांचे में ताला लगा दिया गया. दूसरी मूर्ति विवादित ढांचे के अंदर ही रह गई.
तीसरी मूर्ति की कहानी शुरू होने से पहले जान लीजिए कि दूसरी मूर्ति का क्या हुआ? रामलला की दूसरी मूर्ति आखिर कहां है? रिपोर्ट के मुताबिक, जब विवादित ढांचे में रामलला प्रकट हुए और फिर वहां ताला लगा दिया गया, तब से केवल एक पुजारी को विवादित ढांचे के अंदर मौजूद रामलला की पूजा का अधिकार था. ये मूर्ति ताला बंद होने के बाद से यानी 1949 से लेकर 6 दिसंबर 1992 तक विवादित ढांचे में ही रही.
अब कहानी शुरू होती है, तीसरी मूर्ति की... दरअसल, 6 दिसंबर 1992 को हजारों की संख्या में कारसेवकों ने मिलकर विवादित ढांचे को समतल कर दिया. जब विवादित ढांचा समतल हो गया तब आखिर में भगवान रामलला की बालस्वरुप मूर्ति को खोजा जाने लगा. काफी कोशिशों के बाद जब मूर्ति नहीं मिली, तो इसकी जानकारी अयोध्या के राजा के घर भिजवाई गई. इसकी जानकारी के बाद अयोध्या के राजा के घर से रामलला की मूर्ति लाकर विवादित स्थल पर कारसेवकों की ओर से बनाए गए अस्थायी मंदिर में रख दिया गया. ये राम जन्मभूमि पर विराजमान होने वाली तीसरी मूर्ति थी. रामलला की तीसरी मूर्ति आज भी राम जन्मभूमि परिसर में है, जिनकी आज भी पूजा होती है.
9 नवंबर 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि को हिंदू पक्ष को सौंप दिया, तब चौथी मूर्ति की तैयारी शुरू हो गई. शुरू में कहा गया कि नेपाल के गंडकी नदी से निकाली गई शालिग्राम पत्थर से रामलला की नई मूर्ति बनेगी. लेकिन बाद में मैसूर और राजस्थान समेत कई जगहों से पत्थर मंगाए गए. तय किया गया कि रामलला की नई मूर्ति कर्नाटक के मैसूर से आए श्यामल कृष्ण शिला से बनाई जाएगी. अब रामलला की चौथी मूर्ति बनकर तैयार हो गई है, जिसे कर्नाटक के अरुण योगीराज ने बनाई है. इसी मूर्ति को 22 जनवरी को राम मंदिर के गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठित किया जाएगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भगवान रामलला की चौथी मूर्ति 51 इंच ऊंची होगी. ये मूर्ति रामलला के 5 साल के स्वरूप वाली होगी, जिनके हाथ में धनुष और बाण होगा.
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, रामलला की वर्तमान मूर्ति यानी जिनकी पूजा 1949 से हो रही है, उन्हें भी रामलला के बने नए भव्य मंदिर के गर्भगृह में ही विराजित किया जाएगा.