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India Daily

PAK को बेनकाब करने वाले डेलिगेशन में 'असम सांसद' का नाम देख भड़के असम CM, राहुल गांधी से की बड़ी अपील!

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के बयान ने एक बार फिर भारत की राजनीति में हलचल मचा दी है. यह विवाद न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को उजागर करता है, बल्कि भारत के आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मंच पर एकजुटता दिखाने की कोशिशों को भी प्रभावित कर सकता है.

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Edited By: Mayank Tiwari
Himanta Sarma urged Rahul Gandhi
Courtesy: Social Media

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शनिवार (17 मई) को एक बयान देकर नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी को प्रमुख साझेदार देशों तक पहुंचाने के लिए प्रस्तावित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में असम के एक कांग्रेस सांसद को शामिल करने पर चिंता जताई.

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “प्रस्तावित सूची में शामिल एक सांसद (असम से) ने पाकिस्तान में अपनी लंबी अवधि की यात्रा—जो कथित तौर पर दो सप्ताह की थी, उसको नकारा नहीं है. विश्वसनीय दस्तावेजों से पता चलता है कि उनकी पत्नी भारत में काम करते हुए पाकिस्तान स्थित एक एनजीओ से वेतन ले रही थीं.” राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए, असम के मुख्यमंत्री ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से आग्रह किया कि वे इस सांसद को इस “संवेदनशील और रणनीतिक कार्य” में शामिल न करें.

कांग्रेस की प्रतिक्रिया और नामांकन

इधर, बीजेपी नेता की इस पोस्ट के तुरंत बाद, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पुष्टि की कि पार्टी ने सरकार के विदेशी प्रतिनिधिमंडलों के लिए चार सांसदों के नाम प्रस्तावित किए हैं, जो पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद पर भारत के रुख को स्पष्ट करेंगे. रमेश ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मिशन के लिए सांसदों को नामांकित करने के लिए संपर्क किया था.

जानिए 16 मई को प्रस्तावित चार कौन से नाम शामिल थे!

वहीं, 16 मई को प्रस्तावित लिस्ट में आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन, और राजा बरार का नाम शामिल था. जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस सांसद शशि थरूर का नाम इस सूची में शामिल नहीं था, जिन्होंने शुक्रवार को सार्वजनिक रूप से कहा था कि सरकार ने उन्हें एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया है. थरूर ने कहा, “16 मई को दोपहर तक, लोकसभा में विपक्ष के नेता (राहुल गांधी) ने संसदीय कार्य मंत्री को पत्र लिखकर कांग्रेस की ओर से निम्नलिखित नाम दिए—पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री आनंद शर्मा, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई, राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन, और लोकसभा सांसद राजा बरार का नाम शामिल था.

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य

संसदीय कार्य मंत्रालय ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भारत के राष्ट्रीय सहमति और आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ दृढ़ दृष्टिकोण को विश्व मंच पर पेश करेंगे. बयान में कहा गया, “वे विश्व को भारत का आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता का मजबूत संदेश पहुंचाएंगे. ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की निरंतर लड़ाई के संदर्भ में, सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल इस महीने के अंत में प्रमुख साझेदार देशों, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य शामिल हैं, उसका दौरा करेंगे.”

प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व

सरकार ने सावधानीपूर्वक उन नेताओं का चयन किया है जो प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करेंगे. ये नेता विभिन्न राजनीतिक दलों से हैं और अपनी वाक्पटुता के लिए जाने जाते हैं. जिसमें भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जद(यू) सांसद संजय झा, डीएमके की कनिमोझी, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले, और शिवसेना के श्रीकांत शिंदे हर प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे. इनमें से चार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से हैं, जबकि तीन विपक्षी इंडिया गठबंधन से हैं. प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल लगभग पांच देशों का दौरा कर सकता है.