असम की युवा महिला अफसर नूपुर बोरा इन दिनों सुर्खियों में हैं. 2019 बैच की असम सिविल सर्विस अधिकारी पर आय से अधिक संपत्ति रखने और संदिग्ध जमीन हस्तांतरण में शामिल होने का आरोप है. उनके कई ठिकानों पर छापेमारी के बाद भारी मात्रा में नकदी और गहने बरामद हुए, जिसके बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की घोषणा की है.
सोमवार को मुख्यमंत्री की स्पेशल विजिलेंस सेल ने नूपुर बोरा के असम भर में स्थित घरों पर छापेमारी की. इस दौरान 92 लाख रुपये नकद और लगभग 2 करोड़ रुपये मूल्य के गहने जब्त किए गए. इसके अलावा, बारपेटा स्थित किराए के घर से भी 10 लाख रुपये मिले. छापेमारी के तुरंत बाद बोरा को हिरासत में ले लिया गया.
मुख्यमंत्री सरमा ने आरोप लगाया कि बारपेटा में बतौर सर्किल ऑफिसर रहते हुए नूपुर बोरा ने सरकारी और सत्रा जमीन संदिग्ध व्यक्तियों के नाम ट्रांसफर कर दी. आरोप है कि इस दौरान उन्होंने बंगाली भाषी मुस्लिम समुदाय, जिन्हें अक्सर ‘मिया’ कहा जाता है, को भी जमीन दिलाने में मदद की. सीएम ने कहा कि उन्होंने 'हिंदुओं की जमीन संदिग्ध लोगों को पैसे लेकर हस्तांतरित की.'
1989 में गोलाघाट में जन्मी नूपुर बोरा ने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक किया और सिविल सेवा में आने से पहले DIET में लेक्चरर रहीं. 2019 में उन्होंने असम सिविल सर्विस जॉइन की और कार्बी आंगलोंग में असिस्टेंट कमिश्नर बनीं. 2023 में उनका ट्रांसफर बारपेटा हुआ. कम समय में ही उन्होंने अपनी कथित गतिविधियों से विवाद खड़ा कर दिया.
नूपुर बोरा पर यह भी आरोप है कि उन्होंने जमीन से जुड़े कामों के लिए रिश्वत की 'रेट लिस्ट' बनाई थी, जिसमें 1,500 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक की वसूली होती थी. यह मामला तब सामने आया है जब कुछ महीने पहले आईएएस अफसर पूजा खेड़कर की पहचान और संपत्ति घोटाले की गूंज पूरे देश में सुनाई दी थी. उस प्रकरण के बाद अब नूपुर बोरा का विवाद असम प्रशासन में नई हलचल पैदा कर रहा है.