Arvind Kejriwal Bail: सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दी गई अंतरिम जमानत, जेल में बंद अन्य राजनीतिक कैदियों के लिए राहत वाली खबर हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने शुक्रवार को अपने आदेश में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी. कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए अभूतपूर्व कदम उठाया है.
पीठ के तर्क ने केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी के उस तर्क की पुष्टि की, जिसमें कहा गया था कि चुनाव के दौरान समान अवसर देना संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है. सिंघवी ने 7 मई को तर्क दिया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और समान अवसर भी लोकतंत्र की बुनियादी संरचना का हिस्सा है.
जनवरी में, सुप्रीम कोर्ट ने टीडीपी (तेलगुदेशम पार्टी) चीफ और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू और फिर मार्च में ओडिशा के भाजपा नेता सिबा शंकर दास को जमानत मिली थी. दोनों मामलों में, सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक भाषण देने के अधिकार का जिक्र किया और कहा कि इसे जमानत शर्तों के माध्यम से बाधित नहीं किया जा सकता है.
पिछले साल सितंबर में, कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि चुनाव खत्म होने तक ED, TMC नेता अभिषेक बनर्जी के खिलाफ कोई भी कठोर कदम नहीं उठा सकता है. मार्च में, ED ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वो हाई कोर्ट के आदेश का पालन करेगा.
केजरीवाल पर फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत प्रत्येक मामले के तथ्यों के आधार पर दी जाती है और ये मामला अपवाद नहीं है. हालांकि कोर्ट ने राजनीतिक दांव को भी स्वीकार किया और कहा कि अपीलकर्ता अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय पार्टियों में से एक के नेता हैं.
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये चुनावों के बीच आया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद जेल में बंद राजनीतिक नेताओं के बाहर आने की उम्मीद बढ़ गई है. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तार किए गए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत याचिका हाई कोर्ट में पेंडिग है. झारखंड में 13 मई से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव के आखिरी चार चरणों में मतदान होगा.