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देशविरोधी गतिविधियों का आरोप... टाटा इंस्टीट्यूट ने PhD के स्टूडेंट को 2 साल के लिए किया सस्पेंड

TISS Suspends Dalit PhD Student: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस यानी TISS ने PhD के स्टूडेंट पर बड़ा आरोप लगाते हुए, उसे दो साल के लिए सस्पेंड कर दिया. संस्थान मैनेजमेंट ने स्टूडेंट्स के लिए बनाई गई अनुशासन संहिता का गंभीर उल्लंघन का भी दावा किया है.

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India Daily Live

TISS Suspends Dalit PhD Student: राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोप में TISS में एक पीएचडी छात्र को 2 साल के लिए सस्पेंड कर दिया है. साथ ही किसी भी TISS कैंपस में एंट्री पर बैन लगा दिया है. TISS का दावा है कि कई चेतावनियों के बावजूद छात्र ने अनुशासन संहिता का उल्लंघन किया. 

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने जिस छात्र को सस्पेंड किया है, उसकी पहचान रामदास प्रिंसी शिवानंदन के रूप में हुई है. रामदास ने दावा किया कि उन्हें पहली बार 7 मार्च, 2024 को रजिस्ट्रार कार्यालय से कारण बताओ नोटिस मिला था. रामदास के सस्पेंशन के बारे में बात करते हुए इंस्टीट्यूट के एक अधिकारी ने बताया कि हर स्टूडेंट को इंस्टिट्यूट की ओर से बताए गए अनुशासन के नियमों का पालन करना जरूरी है. आरोपी छात्र ने इन संहिताओं का उल्लंघन किया, यही वजह है कि उसके खिलाफ कार्रवाई की गई.

क्या है पूरा मामला?

TISS के प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम (PSF) के एक बयान के अनुसार, रामदास को जनवरी 2024 में नई दिल्ली में संसद मार्च में शामिल होने के लिए कथित तौर पर सस्पेंड किया गया है. संसद मार्च का आयोजन 16 छात्र संगठनों की ओर से किया गया था. दावा किया जा रहा है कि छात्र के सस्पेंशन का दूसरा कारण उनका सोशल मीडिया पोस्ट है, जिसमें उन्होंने छात्रों से डॉक्यूमेंट्री 'राम के नाम' देखने का आग्रह किया था और इसे अपमान का प्रतीक बताया था. संस्थान ने कथित तौर पर उनके पोस्ट को 'राष्ट्र-विरोधी' माना है. बयान में यह भी दावा किया गया कि डॉक्यूमेंट्री को पहले भी कई बार TISS में आधिकारिक तौर पर प्रदर्शित किया जा चुका है.

रामदास करते थे ये दावा

एक अधिकारी के मुताबिक, रामदास TISS के नाम पर विरोध प्रदर्शन करते थे और दावा करते थे कि शैक्षणिक व्यवस्था ध्वस्त हो रही है. अधिकारी ने कहा कि रामदास को कई नोटिस मिले हैं और उन्होंने हर बार उनका जवाब दिया है. संसद मार्च के दौरान उन्होंने TISS के नाम का इस्तेमाल किया. हालांकि वे अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वह निजी लाभ के लिए संस्था के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकते.

रामदास दलित समुदाय से आते हैं और PSF के पूर्व महासचिव हैं. वे वर्तमान में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की केंद्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य हैं, जो पीएसएफ की छात्र संस्था है. वे एसएफआई महाराष्ट्र राज्य समिति के संयुक्त सचिव भी हैं. 

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