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नैनीताल के बाद अब अल्मोड़ा के जंगलों में लगी आग, तीन मजदूरों की जिंदा जलकर मौत

Almora Forest Fire: नैनीताल के बाद अब अल्मोड़ा के जंगलों में आग लग गई है. आग से तीन मजदूरों की झुलसकर मौत की खबर है. राज्य के वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड में जंगल की आग से होने वाली ये पहली मौतें हैं. आंकड़ों के मुताबिक, पिछले नवंबर से अब तक कम से कम आग की 868 घटनाएं सामने आई हैं, जिससे 1,086 हेक्टेयर फॉरेस्ट एरिया प्रभावित हुआ है.

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Almora forest fire Three workers die Uttarakhand forest department data

Almora Forest Fire: नैनीताल के बाद अब अल्मोड़ा के जंगल धधक रहे हैं. पुलिस के मुताबिकक, अल्मोड़ा में जंगलों में आग की सूचना मिली है. साथ ही आग में झुलसकर तीन मजदूरों की मौत भी हुई है, जबकि एक अन्य को गंभीर हालत में अस्पताल में एडमिट कराया गया है. पुलिस ने कहा कि अल्मोडा में लगी आग पर अब काबू पा लिया गया है और वन अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं कि आग किस कारण से लगी.

उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के मुताबिक, राज्य में जंगल की आग से झुलसकर मौत की ये पहली घटना है. पिछले नवंबर से अब तक राज्य में आग की 868 घटनाएं सामने आई हैं, जिससे 1,086 हेक्टेयर फॉरेस्ट एरिया प्रभावित हुआ है.

आग की घटना के बाद अब तक 350 FIR दर्ज

राज्य के वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पुलिस और उत्तरखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने अब तक 350 FIR दर्ज की हैं और 60 लोगों को गिरफ्तार किया है. पिछले हफ्ते नैनीताल के जंगलों में आग लगने की घटना सामने आई थी. आग से नैनीताल में एक आवासीय कॉलोनी पर खतरा मंडराने लगा था. 

आग की घटना के बाद भारतीय वायुसेना ने मोर्चा संभाला था. हेलीकॉप्टर के जरिए आग पर काबू पाने की कोशिश की गई थी. साथ ही आग पर काबू पाने के लिए सेना के जवानों, होमगार्ड कर्मियों को भी लगाया गया था.

नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल के जंगलों में इंसानों ने लगाई थी आग

उत्तराखंड के अधिकारियों के मुताबिक, पिछले हफ्ते नैनीताल और पौडी गढ़वाल के जंगलों में लगी आग में से ज्यादातर मानव निर्मित थी. उधर, पुलिस के मुताबिक, अल्मोड़ा के जंगलों में लगी आग एक पाइन रेजिन फैक्ट्री के करीब पहुंच गई, जिसकी चपेट में आने से तीन मजदूरों की मौत हो गई. इनमें से एक की गुरुवार को मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक महिला समेत दो अन्य ने शुक्रवार को अस्पताल में दम तोड़ दिया.

अल्मोडा प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) दीपक सिंह ने कहा कि तीन पीड़ितों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन वे नेपाली मूल के हैं और पिछले 3-4 सालों से यहां काम कर रहे थे. विशेषज्ञों की मानें तो उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने के पीछे के कारणों में कुछ प्राकृतिक तो कुछ मानव निर्मित हैं.