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'वंदे मातरम पर चर्चा की जरूरत अनंत काल तक रहेगी...', विपक्ष के हमले पर अमित शाह का पलटवार

अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि वंदे मातरम पर चर्चा पहले भी जरूरी थी, आज भी है और 2047 में भी रहेगी. विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यह विषय राजनीति नहीं बल्कि राष्ट्रीय भावना से जुड़ा है.

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Edited By: Km Jaya
Amit Shah India daily
Courtesy: @BJP4India x account

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में वंदे मातरम पर हुई चर्चा का जोरदार समर्थन किया. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम पर समर्पण और चर्चा की जरूरत पहले भी थी, आज भी है और 2047 में भी बनी रहेगी. शाह ने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज किया जिनमें कहा गया था कि यह चर्चा केवल पश्चिम बंगाल चुनावों के चलते की जा रही है.

अमित शाह ने सदन में कहा कि कुछ सदस्यों ने सवाल किया कि आज वंदे मातरम पर चर्चा की क्या जरूरत है. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम राजनीति के दायरे से बाहर है और इसका संबंध राष्ट्र की भावनाओं से है. शाह ने कहा कि वंदे मातरम केवल बंगाल का विषय नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जब हमारे जवान सीमा पर सर्वोच्च बलिदान देते हैं या पुलिसकर्मी अपनी जान गंवाते हैं, तो एक ही स्वर गूंजता है, वंदे मातरम.

प्रियंका गांधी की टिप्पणी पर क्या कहा?

अमित शाह ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की टिप्पणी का भी जवाब दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि इस समय इस विषय पर चर्चा असामान्य है. शाह ने कहा कि कुछ लोग मानते हैं कि यह चर्चा चुनाव को ध्यान में रखकर की जा रही है, लेकिन वंदे मातरम किसी राजनीतिक दायरे में नहीं आता. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह गीत सदी भर से देश की प्रेरणा रहा है.

वंदे मातरम को लेकर अमित शाह ने क्या कहा?

उन्होंने कहा कि इतिहास में कई बार वंदे मातरम को रोकने की कोशिशें हुईं, लेकिन कोई भी इसे दबा नहीं सका. शाह ने कहा कि न तो अंग्रेज वंदे मातरम को रोक पाए थे और न ही वे लोग जो अंग्रेजी मानसिकता को आगे बढ़ाते थे. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम देश की राष्ट्रीय चेतना और त्याग की भावना का प्रतीक है.

शाह ने सदन के सदस्यों से कहा कि राष्ट्र गीत भारतीय संस्कृति, आजादी के संघर्ष और शहीदों के बलिदान की याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि यह विषय किसी भी समय प्रासंगिक है और उस पर चर्चा को चुनावी चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. गृह मंत्री ने यह भी कहा कि राष्ट्र से जुड़े विषयों को राजनीतिक विवाद के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.