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India Daily

जब 40 साल पहले हुए घातक विमान हादसे के दौरान बीजे मेडिकल कॉलेज ने निभाई थी अहम भूमिका, जानें कैसे हुई थी स्थापना

अहमदाबाद में बायरामजी जीजीभॉय मेडिकल कॉलेज चार दशक पहले भी बचाव और राहत कार्यों के केंद्र में था, जब सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डे से सिर्फ़ 2.5 किलोमीटर दूर एक और दुखद हवाई दुर्घटना में 133 लोगों की मौत हो गई थी.

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Edited By: Mayank Tiwari
BJ Medical College
Courtesy: Social Media

 गुजरात के अहमदाबाद की सबसे पुरानी मेडिकल संस्था, बीजे मेडिकल कॉलेज, इस हफ्ते भारत के सबसे भयावह एकल-विमान हादसे का गवाह बना. इसके 100 एकड़ के विशाल परिसर, जिसमें चार मंजिला इमारतें, दो मंजिला भोजन कक्ष और छात्रावास भवन शामिल हैं, उसने बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के हादसे का भारी नुकसान झेला.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह हादसा सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डे से मात्र 2.5 किमी दूर हुआ। चार दशक पहले, 1988 में हुए एक अन्य दुखद विमान हादसे में भी यह संस्था बचाव और राहत कार्यों का मुख्य आधार थी, जिसमें 133 लोगों की जान गई थी. बीजे मेडिकल कॉलेज के पूर्व बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. एमएफ शेख ने कहा, "1988 में इंडियन एयरलाइंस के विमान हादसे में यह संस्था रीढ़ की हड्डी थी, जहां केवल दो लोग ही जीवित बचे थे."

हादसे में क्षतिग्रस्त हुआ परिसर

दरअसल, गुरुवार को हुए हादसे में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर ने मेडिकल कॉलेज के छात्रावास भवनों और भोजन कक्षों को टक्कर मारी. जिसमें चार छात्रावास भवनों की बाहरी सतह जल गई, जबकि दो भोजन कक्ष आंशिक रूप से ढह गए. साल। 1871 में अहमदाबाद मेडिकल स्कूल के रूप में केवल 14 छात्रों के साथ स्थापित, यह गुजरात का सबसे पुराना और भारत के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेजों में से एक है. मेहगानीनगर में स्थित इसके मुख्य परिसर में 2,500 बेड का अस्पताल है, और 2019 में उसी परिसर में 1,200 बेड का एक और अस्पताल स्थापित हुआ. सरकारी सिविल अस्पताल भी इसी परिसर में है.

मेडिकल शिक्षा और सेवाओं का रहा गढ़

अहमदाबाद के वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. जावेद वकील ने बताया, "हर साल यहां 256 एमबीबीएस छात्रों को प्रवेश मिलता है, और 400 से अधिक स्नातकोत्तर सीटें उपलब्ध हैं." उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थान में हर साल 300 से अधिक किडनी प्रत्यारोपण किए जाते हैं, और मरीज राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों से आते हैं. अस्पताल की वेबसाइट के अनुसार, "1879 में सर ब्यरमजी जीजीभॉय के ₹20,000 के उदार दान से स्कूल का नाम बीजे मेडिकल स्कूल रखा गया. 1917 में इसे कॉलेज ऑफ फिजिशियन्स एंड सर्जन्स ऑफ बॉम्बे से संबद्धता मिली, और 1946 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से जुड़कर इसे बीजे मेडिकल कॉलेज का दर्जा प्राप्त हुआ."

आपदाओं में अडिग सहारा

बीजे मेडिकल कॉलेज ने 2001 के भुज भूकंप, 2002 के अक्षरधाम मंदिर हमले, 2009-10 के स्वाइन फ्लू प्रकोप, और 2020-21 की महामारी जैसी आपदाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. डॉ. शेख ने कहा, "यह अस्पताल शुरू से ही सामूहिक हताहतों को संभालता रहा है. साल 2008 के अहमदाबाद बम विस्फोटों में ट्रॉमा सेंटर पर हमला होने के बावजूद यह अस्पताल कभी रुका नहीं."