Centre plans to tackle terror in Jammu: भारत सरकार ने जम्मू क्षेत्र में बढ़ते आतंकी खतरों के मद्देनजर एक व्यापक सुरक्षा योजना तैयार की है. हाल ही में हुए कई आतंकी हमलों में सुरक्षा बलों को काफी नुकसान हुआ है, जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और सेना तथा सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई बैठकें की हैं.
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने जम्मू में सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है, जिसमें जंगलों में विशेष ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की 75 से अधिक कैंपों की स्थापना, ग्राम सुरक्षा समितियों (वीडीसी) के लिए नियमित प्रशिक्षण और सीमा पर बीएसएफ की तैनाती में वृद्धि शामिल है. जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी बीएसएफ के पास है, जो 2289 किलोमीटर से अधिक लंबी है. जम्मू क्षेत्र में सुरंगों और घने जंगलों के कारण आतंकवादियों के लिए हमले करना आसान हो जाता है.
एक सूत्र के अनुसार, आतंकवादियों को घुसपैठ के बाद खाने-पीने के सामान की सहायता देने के मामले में संदिग्ध लोगों से पूछताछ से पता चला है कि जैश-ए-मोहम्मद से संबंधित पाकिस्तान के 30-40 लोगों का एक समूह जम्मू में घुसपैठ कर चुका है और फिलहाल कठुआ, डोडा, उधमपुर, किश्तवाड़ और सांबा के जंगलों में छिपा हुआ है.
इंडियन एक्सप्रेस को मिली रिपोर्ट में एक सूत्र ने कहा, 'जिन लोगों से वे संपर्क करते हैं, उनमें से ज्यादातर स्थानीय पशु व्यापारी होते हैं. वे उनकी डिटेल्स लेते हैं और उन्हें 500-1,000 रुपये देते हैं और सात दिनों के लिए पर्याप्त भोजन पैक करने के लिए कहते हैं.'
जम्मू क्षेत्र पाकिस्तान के साथ 485 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, जिसमें घने जंगल और पहाड़ी इलाके हैं. सूत्रों के अनुसार, एसओजी कैंप स्थापित करने के लिए रणनीतिक बिंदुओं की पहचान की गई है, जहां स्थानीय पुलिस, सीआरपीएफ और सेना के जवान तैनात किए जाएंगे.
एक सूत्र ने बताया, 'वे आतंकवादियों की तलाश में रोज़ाना गश्त करेंगे. यह भी पता चला है कि आतंकवादी पाकिस्तान में अपने हैंडलर्स को वीओआईपी (वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल) कॉल करने के लिए ग्रामीणों के व्यक्तिगत हॉटस्पॉट कनेक्शन का उपयोग कर रहे हैं. ग्रामीणों के बीच जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाएगा कि वे अपने इंटरनेट हॉटस्पॉट या वाईफाई पासवर्ड को किसी अजनबी के साथ साझा न करें. ऐसा करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.'
हाल ही में, केंद्र ने जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने के लिए ओडिशा से 2,000 से अधिक कर्मियों वाली दो बीएसएफ बटालियनों को वापस बुलाने का भी आदेश दिया है तो वहीं पारंपरिक .303 राइफल और सेमी-ऑटोमैटिक एसएलआर जैसे हथियारों का उपयोग करने के लिए वीडीसी के लिए रेगुलर ट्रेनिंग फिर से शुरू करने का भी निर्णय लिया गया है.
एक सूत्र ने कहा, 'सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष रूप से सुरंगों के आसपास घुसपैठ को रोकने के लिए तैनाती को मजबूत करने के लिए यह निर्णय लिया गया. इन दोनों यूनिट के सैनिकों को सांबा और जम्मू-पंजाब सीमा के पास तैनात किए जाने की उम्मीद है.'
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि केंद्र सरकार का आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस का रवैया है. जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सुरक्षा उपायों को मजबूत किया जा रहा है. आतंकी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए अपनाई गई रणनीतियों में आतंकवादियों और उनके समर्थकों के खिलाफ प्रभावी, निरंतर और लगातार कार्रवाई, आतंकी इकोसिस्टम को खत्म करना, आतंकी फंडिंग पर कार्रवाई, आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाना आदि शामिल हैं.
राय ने यह भी बताया कि आतंकवाद के रणनीतिक समर्थकों की पहचान करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने के उनके तंत्र का पर्दाफाश करने के लिए जांच शुरू की गई है. उन्होंने बताया कि इस साल 21 जुलाई तक 14 नागरिक और 14 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं. इस दौरान 24 मुठभेड़/आतंकवाद विरोधी अभियान और 11 आतंकी घटनाएं हुई हैं.