26/11 मुंबई हमले की 17वीं बरसी आज, 150 जिंदगियों को निगल गई वो काली रात, जानिए उस दिन क्या-क्या हुआ

6 नवंबर 2008 की रात मुंबई दहशत में डूब गई, जब लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने शहर के 6 प्रमुख स्थानों पर समन्वित हमले किए.

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Reepu Kumari

26/11 का जख्म आज भी भारत की यादों में ताजा है. 17वीं बरसी पर देश उन निर्दोष लोगों और बहादुर जवानों को याद कर रहा है, जिन्होंने मुंबई को आतंक के चंगुल से मुक्त कराने के लिए अपनी जान तक न्यौछावर कर दी. इस हमले को पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था. 60 घंटे तक चली इस भीषण जंग में कई आम नागरिकों, विदेशी मेहमानों और देश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने जान गंवाई. ये हमला भारतीय सुरक्षा इतिहास का बड़ा मोड़ साबित हुआ. 

दस आतंकवादियों ने मुंबई के कई इलाकों में समन्वित हमले किए, जिनमें 150 से ज्यादा लोग मारे गए, जिनमें हेमंत करकरे, विजय सालस्कर, अशोक काम्टे और तुकाराम ओम्बाले जैसे मुंबई के शीर्ष पुलिस अधिकारी भी शामिल थे. ये हमले ताज महल होटल, ट्राइडेंट होटल, ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस, कोलाबा कॉज़वे और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर किए गए.

26 नवंबर के दिन क्या-क्या हुआ?

रात 9:20 बजे: कोलाबा कॉज़वे पर लियोपोल्ड कैफ़े में दो आतंकवादियों ने गोलीबारी की जिसमें 10 लोग मारे गए. यह कैफे स्थानीय लोगों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों के बीच भी घूमने की पसंदीदा जगह है. रात 11 बजे तक चार आतंकवादी प्रतिष्ठित ताज महल होटल में घुस गए, दो ट्राइडेंट होटल में, दो आतंकवादी नरीमन हाउस में घुस गए, और अजमल कसाब समेत दो आतंकवादी छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) की ओर बढ़ गए.

कसाब और उसके साथ आए आतंकवादी ने व्यस्त रेलवे स्टेशन पर यात्रियों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें एक ही झटके में 58 लोग मारे गए, जबकि कई अन्य घायल हो गए. सुबह 9:45 बजे दो आतंकवादी नरीमन हाउस में घुस गए और केंद्र पर हमला कर दिया.

रात 10:30 बजे: दो आतंकवादी सीएसटी के पास कामा अस्पताल की ओर बढ़े और हमला कर दिया. जैसे ही अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें देखा, उन्होंने तुरंत दरवाज़े बंद कर दिए. आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. तीन शीर्ष पुलिस अधिकारियों: कामटे, करकरे और सालस्कर ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन आतंकवादियों के पास मौजूद बेहतर हथियारों की वजह से वे मारे गए.

आतंकवादियों ने तीन पुलिस अधिकारियों की जीप छीन ली और भाग गए. लेकिन पुलिस ने जीप को रोक लिया, एक आतंकवादी को मार गिराया और कसाब को गिरफ्तार कर लिया.

रात 11 बजे ताज महल होटल में

चार आतंकवादी होटल में घुस गए और होटल के अंदर जो भी दिखाई दिया, उसे गोलियों से भून दिया. मुंबई पुलिस ने विशेष बलों के आने तक आतंकवादियों को अंदर ही रोकने के प्रयास में होटल को घेर लिया, जबकि नौसेना के कमांडो तैनात किए गए. 26/11 के दौरान हमला झेलने वाला दूसरा स्थल ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल था, जहाँ दो आतंकवादियों का एक और समूह लगभग उसी समय घुसा, जब अन्य आतंकवादी ताज में घुसे थे. ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल में हुए इस भीषण हमले में 30 से अधिक लोग मारे गए थे.

27 नवंबर को प्रातः 2:30 बजे:

भारतीय सेना के जवान पहुंचे और होटल की लॉबी में प्रवेश किया.

27 नवंबर को सुबह 4:00 बजे:

पहले चरण के बचाव अभियान में 200 लोगों को रिहा कर दिया गया, लेकिन 100 से ज़्यादा मेहमान अभी भी बंधक बने हुए थे. ताज और ओबेरॉय ट्राइडेंट में भीषण मुठभेड़ जारी रही क्योंकि एनएसजी कमांडो आतंकवादियों से भिड़ गए. इन दोनों होटलों में विस्फोट की भी घटना हुई.

27 नवंबर-29 नवंबर:

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) जैसे और भी विशेष बल पहुँच गए. एनएसजी, नौसेना कमांडो और भारतीय सेना के बीच समन्वय से एक संयुक्त अभियान चलाया गया और आतंकवादियों का सफाया कर दिया गया. सेना और नौसेना ने स्थिति का जायजा लिया. दिन में और शाम तक, विशेष बल और जाट रेजिमेंट पहुँच गए.

नरीमन हाउस में, एनएसजी कमांडो छत पर उतरे, जबकि पास की इमारतों में स्नाइपर्स सुरक्षा के लिए तैनात थे. नरीमन हाउस में दो आतंकवादी मारे गए.

ओबेरॉय ट्राइडेंट की घेराबंदी 28 नवंबर को बंधकों को छुड़ाने और दो आतंकवादियों को मार गिराने के बाद समाप्त हुई. ताज महल पैलेस होटल में अभियान अगली सुबह तक जारी रहा और 29 नवंबर को सुबह 6 बजे से 9 बजे के बीच कमांडो ने शेष आतंकवादियों को मार गिराया और घेराबंदी समाप्त हो गई.