विश्व में अब तक केवल तीन देशों संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के पास अंतरमहाद्वीपीय हमले करने में सक्षम बॉम्बर विमान हैं. अब भारत इस विशिष्ट समूह में शामिल होने की तैयारी कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय वायुसेना के लिए एक स्वदेशी रणनीतिक बॉम्बर, जिसे अल्ट्रा लॉन्ग-रेंज स्ट्राइक एयरक्राफ्ट (ULRA) नाम दिया गया है, विकसित करने की परियोजना शुरू हो चुकी है. यह विमान 12,000 किलोमीटर की दूरी तक सटीक हमले करने में सक्षम होगा और इसमें स्टील्थ तकनीक होगी, जो इसे रडार से बचाने में मदद करेगी.
रूस के Tu-160 और अमेरिका के B-21 को देगा टक्कर
ULRA को रूस के Tu-160 और अमेरिका के B-21 बॉम्बर से प्रेरणा लेकर डिज़ाइन किया जा रहा है. यह विमान 12 टन (12,000 किलोग्राम) हथियार ले जाने में सक्षम होगा और विश्व के किसी भी हिस्से में रणनीतिक हमले करने की क्षमता रखेगा. परमाणु हमले की स्थिति में, यह विमान भारत को दुश्मन क्षेत्र में गहराई तक परमाणु बम पहुंचाने की शक्ति देगा. वर्तमान में भारत की परमाणु रक्षा अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) पर निर्भर है, लेकिन ULRA इनकी सीमाओं को दूर करेगा. यह विमान स्वदेशी हथियारों जैसे ब्रह्मोस-एनजी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, अग्नि-1P शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल, लेजर-निर्देशित बम और एंटी-रेडिएशन मिसाइलों को ले जाने में सक्षम होगा, जो दुश्मन के रडार सिस्टम को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.
रूस और फ्रांस करेंगे मदद
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत को रूस और फ्रांस से तकनीकी सहायता मिलने की संभावना है. रूस अपने Tu-160 कार्यक्रम से प्राप्त अनुभव, विशेष रूप से एयरफ्रेम डिज़ाइन और प्रणोदन प्रणाली में सहायता प्रदान कर सकता है. वहीं, फ्रांस एवियोनिक्स और स्टील्थ तकनीकों में योगदान देगा, जो शत्रुतापूर्ण हवाई क्षेत्र में विमान की सुरक्षा बढ़ाएगा. ULRA के लिए इंजन चयन अभी तय नहीं हुआ है. रूस का NK-32 इंजन, जो Tu-160 को शक्ति देता है और 245 किलोन्यूटन का थ्रस्ट उत्पन्न करता है, प्राथमिक विकल्प है.
दूसरा विकल्प अमेरिका का जनरल इलेक्ट्रिक GE-414 इंजन है, जो वर्तमान में 98 किलोन्यूटन थ्रस्ट देता है, लेकिन इसे भारी बॉम्बर की जरूरतों के लिए उन्नत करना होगा.
भारत की परमाणु रक्षा को नई ताकत
वर्तमान में भारत के पास तीन तरह की परमाणु वितरण क्षमता है: जमीन से प्रक्षेपित ICBM, पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल और फाइटर जेट से प्रक्षेपित शॉर्ट-रेंज मिसाइल. ULRA के शामिल होने से भारत को जमीन, समुद्र और हवा से वैश्विक दूरी पर परमाणु हमले करने की क्षमता मिलेगी, जिससे सच्ची "सेकेंड-स्ट्राइक" क्षमता हासिल होगी. यह विमान विदेशी हवाई अड्डों पर ईंधन भरने और बड़े पैमाने पर एकल मिशन में हमले करने में सक्षम होगा.
ULRA का डिज़ाइन कार्य शुरू हो चुका है और प्रारंभिक डिज़ाइन आने वाले वर्षों में सामने आएगा. इसकी प्रोटोटाइप टेस्टिंग 2035 तक शुरू होने की उम्मीद है.
रक्षा बजट में भारी वृद्धि की संभावना
ULRA भारत का सबसे महत्वाकांक्षी विमानन प्रोजेक्ट होगा, जो पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के बाद आएगा. प्रारंभिक योजना के अनुसार, 12 से 14 रणनीतिक बॉम्बर की आवश्यकता होगी. इस परियोजना से रक्षा बजट में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है.