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Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari Review: वरुण धवन का स्वैग और जान्हवी का चार्म, जानें कैसी है 'सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी'

Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari Movie Review: ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ शशांक खेतान की नई रोमांटिक-कॉमेडी है, जिसमें वरुण धवन और जान्हवी कपूर अपनी शानदार केमिस्ट्री से दर्शकों को हंसी, प्यार और ड्रामे का अनोखा तड़का परोसते हैं. हालांकि फिल्म के दूसरे हिस्से में कुछ कमियां झलकती हैं, फिर भी यह एक भरपूर मनोरंजक अनुभव देती है.

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Edited By: Babli Rautela
Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari Movie Review
Courtesy: Social Media

Sunny Sanskari Ki Tulsi Kumari Movie Review: फिल्म डायरेक्टर शशांक खेतान की इस रोमांटिक-कॉमेडी की कहानी वरुण धवन (सनी संस्कारी) और जान्हवी कपूर (तुलसी कुमारी) पर आधारित है. फिल्म की शुरुआत मजेदार अंदाज से होती है, जहां सनी अपनी प्रेमिका अनन्या (सान्या मल्होत्रा) को शादी के लिए प्रपोज करता है. लेकिन अनन्या उसके प्रस्ताव को ठुकराकर अरबपति विक्रम सिंह (रोहित सराफ) से शादी करने का फैसला करती है.

यहीं से कहानी मोड़ लेती है. विक्रम दरअसल तुलसी कुमारी का एक्स बॉयफ्रेंड होता है. अब सनी और तुलसी दोनों अपने खोए हुए प्यार को वापस पाने के लिए विक्रम और अनन्या की शादी तोड़ने की योजना बनाते हैं. फिल्म यहीं से एक मजेदार और भावनाओं से भरी यात्रा पर निकलती है.

कॉमिक टाइमिंग और म्यूजिक का जादू

‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ की सबसे बड़ी ताकत है इसकी स्पीड और एंटरटेनमेंट का लगातार बहाव. कहानी कहीं भी ठहरती नहीं है और मजाकिया संवाद, बॉलीवुड हस्तियों के हल्के फुल्के संदर्भ और मजेदार परिस्थितियां फिल्म को बांधे रखती हैं.

लोकेशन और सिनेमाटोग्राफी की बात करें तो खूबसूरत लोकेशन फिल्म को विज़ुअली आकर्षक बनाती हैं. वहीं फिल्म का संगीत भी बड़ा हाइलाइट है. सोनू निगम और असीस कौर का गाना 'बिजुरिया' डांस फ्लोर हिट साबित होता है, जबकि 'तू है मेरी' और 'इश्क मंज़ूर' रोमांटिक माहौल को और गहराई देते हैं. 'पनवाड़ी' गाना दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर देता है.

दूसरे हिस्से में कमजोर पड़ी फिल्म

जहां फिल्म का पहला भाग वरुण और जान्हवी की मज़ेदार केमिस्ट्री पर चमकता है, वहीं दूसरा हिस्सा उतना दमदार नहीं दिखता. वरुण, जान्हवी, रोहित और सान्या वाला नशे में धुत दृश्य कहानी को आगे बढ़ाने में कुछ खास योगदान नहीं देता. विक्रम के किरदार (रोहित सराफ) में और गहराई लाई जा सकती थी, खासकर उनके पारिवारिक संबंधों पर ज्यादा ध्यान देने से कहानी में नई परतें जुड़ सकती थीं. कुछ जगहों पर गति धीमी हो जाती है, जिससे फिल्म थोड़ी खिंची हुई लगने लगती है. हालांकि, फिल्म का अप्रत्याशित क्लाइमेक्स दर्शकों को हैरान और संतुष्ट करता है.

कुल मिलाकर, ‘सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी’ एक बेहतरीन मसाला एंटरटेनर है जिसमें रोमांस, कॉमेडी, ड्रामा और संगीत का पूरा पैकेज मौजूद है. हालांकि फिल्म में कुछ कमजोरियां हैं, खासकर दूसरे हिस्से में, लेकिन इसकी चमकदार केमिस्ट्री, शानदार गाने और कॉमेडी इसे देखने लायक बना देते हैं.