Kantara Chapter 1 Movie Review: साल 2022 में जब ऋषभ शेट्टी ने ‘कांतारा’ रिलीज की थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह फिल्म पूरे देश में इतनी बड़ी सनसनी बन जाएगी. कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की यह कृति भूत कोला परंपरा और जंगल की रहस्यमयी कथाओं को दर्शाते हुए राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं में रही. अब तीन साल बाद, ‘कांतारा चैप्टर 1’ के रूप में ऋषभ ने एक और गहरी और भव्य कहानी दर्शकों के सामने रखी है. यह फिल्म पिछली कहानी से भी पीछे जाकर प्राचीन राजवंश और मिथकों को उजागर करती है.
‘कांतारा चैप्टर 1’ की कहानी राजा कुलशेखर (गुलशन देवैया) और उनके राजवंश के इर्द-गिर्द घूमती है. जब राजघराने से बाहर का एक योद्धा, राजा की बहन कनकवती (रुक्मिणी वसंत) से प्रेम करने लगता है, तो घटनाएं कंट्रोल से बाहर हो जाती हैं. यहीं से शुरू होती है युद्ध, विश्वासघात और अलौकिक शक्तियों से भरी एक महाकथा. फिल्म में पंजुरली दैव और कांतारा के जंगल के मिथकों को गहराई से खोजा गया है. साथ ही कदंब राजवंश, बंगरा साम्राज्य और कांतारा के लोगों के बीच की जंग भी दर्शकों को एक नए नजरिए से देखने को मिलती है.
इस बार ऋषभ शेट्टी ने दांव और भी ऊंचे रखे हैं. भव्य सेट, शानदार युद्ध दृश्य और रहस्यमयी वातावरण दर्शकों को शुरू से अंत तक बांधे रखते हैं. फिल्म का स्वर पिछली फिल्म जैसा ही गहन और डरावना है, लेकिन पैमाना कहीं अधिक बड़ा है. ऋषभ ने लोककथाओं को केवल सिनेमाई अंदाज में प्रस्तुत ही नहीं किया, बल्कि उन्हें और विस्तार देते हुए एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है. फिल्म डायरेक्टर ने 'भूत कोला' की रहस्यमयी परंपरा को भारतीय सिनेमा में और मजबूती से स्थापित करने का प्रयास किया है.
‘कांतारा चैप्टर 1’ की असली ताकत इसके एक्शन सीन और विजुअल ट्रीटमेंट में छिपी है. युद्ध और ऐतिहासिक घटनाओं को इतने भव्य तरीके से प्रस्तुत किया गया है कि हर फ्रेम सिनेमाई अनुभव को और भी गहरा कर देता है.
छायांकन (Cinematography) की बात करें तो जंगलों, मंदिरों और युद्ध दृश्यों को इतने खूबसूरत तरीके से कैद किया गया है कि दर्शक खुद को उसी माहौल का हिस्सा महसूस करते हैं.
ध्वनि डिजाइन (Sound Design): रहस्यमय बैकग्राउंड स्कोर और लोकसंगीत फिल्म को और प्रभावशाली बनाते हैं. बीच-बीच में जबरन डाला गया हल्का-फुल्का हास्य भले ही थोड़ा असंतुलित लगे, लेकिन यह दर्शकों को भारी दृश्यों से राहत भी देता है.