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Kesari Veer Review: बहादुर योद्धाओं पर बनी 'केसरी वीर' सिनेमाघरों में रिलीज, टिकट खरीदने से पहले जान लें कैसी है सुनील शेट्टी की ये फिल्म

'केसरी वीर' आज यानी 23 मई को सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. प्रिंस धीमान के निर्देशन में बनी इस फिल्म में सुनील शेट्टी, सूरज पंचोली और विवेक ओबेरॉय जैसे सितारे लीड रोल में हैं. यह फिल्म हमीरजी गोहिल की वीरता की कहानी है, जिन्होंने तुगलक साम्राज्य के खिलाफ मंदिर और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी.

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Edited By: Antima Pal
Kesari Veer Review
Courtesy: social media

Kesari Veer Review: 14वीं सदी के भारत में सोमनाथ मंदिर की रक्षा के लिए वीर योद्धाओं की कहानी पर बनी फिल्म 'केसरी वीर' आज यानी 23 मई को सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. प्रिंस धीमान के निर्देशन में बनी इस फिल्म में सुनील शेट्टी, सूरज पंचोली और विवेक ओबेरॉय जैसे सितारे लीड रोल में हैं. यह फिल्म हमीरजी गोहिल की वीरता की कहानी है, जिन्होंने तुगलक साम्राज्य के खिलाफ मंदिर और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी. लेकिन क्या यह फिल्म दर्शकों का दिल जीत पाई? आइए जानते हैं.

कहानी और थीम

'केसरी वीर' एक ऐतिहासिक ड्रामा है, जो सोमनाथ मंदिर पर हमले और उसकी रक्षा की कहानी को दर्शाती है. सूरज पंचोली ने हमीरजी गोहिल का किरदार निभाया है, जो एक युवा राजपूत योद्धा है. सुनील शेट्टी ने वेगदाजी भिल की भूमिका निभाई है, जो शिव भक्त और अपनी जनजाति का नन्हा है. वहीं विवेक ओबेरॉय ने जफर खान के रूप में खलनायक की भूमिका निभाई है, जो मंदिर को लूटने और धर्म परिवर्तन का इरादा रखता है. कहानी में देशभक्ति, बलिदान और प्रेम का मिश्रण है, जिसमें अकांक्षा शर्मा (रजाल) की प्रेम कहानी भी शामिल है.

परफॉर्मेंस

विवेक ओबेरॉय का अभिनय फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है. उन्होंने खलनायक जफर खान को विश्वसनीयता के साथ पेश किया है. सूरज पंचोली एक्शन सीन्स में प्रभावशाली हैं, लेकिन भावनात्मक दृश्यों में उनकी गहराई की कमी खलती है. सुनील शेट्टी का किरदार आकर्षक है, पर स्क्रीन टाइम कम होने से प्रभाव सीमित रहता है. अकांक्षा शर्मा ने रजाल के रूप में ठीक-ठाक काम किया है.

निर्देशन और तकनीकी पक्ष

प्रिंस धीमान का निर्देशन भव्य सेट्स और दृश्यों के साथ आकर्षक है, लेकिन कहानी में मौलिकता की कमी और कुछ ओवर-द-टॉप सीन फिल्म को कमजोर करते हैं. वीएफएक्स और सीजीआई का उपयोग प्रभावशाली है, पर कई बार यह बनावटी लगता है. मॉन्टी शर्मा का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर 'हर हर महादेव' के नारों के साथ जोश भरता है, लेकिन बार-बार दोहराव से यह थकाऊ हो जाता है.

क्या है खास?

फिल्म में देशभक्ति और वीरता का जोश दर्शकों को बांधने की कोशिश करता है. सोमनाथ मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भव्य सेट्स दर्शनीय हैं. कुछ एक्शन सीक्वेंस और संवाद दर्शकों को थिएटर में तालियां बजाने पर मजबूर कर सकते हैं.

कमियां

कहानी में गहराई की कमी और घिसे-पिटे फॉर्मूले फिल्म को औसत बनाते हैं. लगभग ढाई घंटे की अवधि इसे थोड़ा लंबा और थकाऊ बनाती है. कुछ दृश्य 'बाहुबली' और 'पद्मावत' जैसे फिल्मों की नकल लगते हैं, जो मौलिकता को कम करते हैं. 'केसरी वीर' में देशभक्ति और एक्शन का जोश है, लेकिन कमजोर लेखन और अतिनाटकीयता इसे एक औसत फिल्म बनाती है. अगर आपको ऐतिहासिक ड्रामा और देशभक्ति की कहानियां पसंद हैं, तो यह फिल्म एक बार देखी जा सकती है. टिकट खरीदने से पहले यह तय कर लें कि आप भव्यता को कहानी की गहराई से ज्यादा तरजीह देते हैं या नहीं.