Asha Parekh Birthday: जब 60 और 70 के दशक में बॉलीवुड पर पुरुष सितारों का दबदबा था, उसी दौर में आशा पारेख ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से साबित किया कि एक्ट्रेस भी इंडस्ट्री में नंबर वन हो सकती है. उन्होंने न केवल अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीता, बल्कि उस जमाने की सबसे ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस बनकर इतिहास रच दिया है. 2 अक्टूबर 1942 को गुजरात के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी आशा पारेख के पिता हिंदू गुजराती और मां मुस्लिम थीं. उनकी मां ने बचपन से ही उनकी डांस की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें कथक की ट्रेनिंग दिलाई. आशा पारेख ने छोटी उम्र में ही मंच पर परफॉर्मेंस देना शुरू कर दिया था.
आशा पारेख ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्मों में कदम रखा, लेकिन उन्हें असली पहचान 1959 की फिल्म ‘दिल दे के देखो’से मिली, जिसमें वह शम्मी कपूर के साथ नजर आईं. फिल्म सुपरहिट हुई और आशा पारेख रातों-रात स्टार बन गईं. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
‘जब प्यार किसी से होता है’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘कटी पतंग’, ‘लव इन टोक्यो’, ‘आया सावन झूम के’, ‘आन मिलो सजना’, ‘दो बदन’, और ‘कारवां’ जैसी फिल्मों ने उन्हें हिंदी सिनेमा की टॉप हीरोइन बना दिया. उनकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि निर्माता-निर्देशक उन्हें साइन करने के लिए कतार में खड़े रहते थे.
आशा पारेख की फीस उस दौर के कई बड़े मेल एक्टर्स से भी ज्यादा थी. यह उस समय बेहद बड़ी बात थी, जब फिल्म इंडस्ट्री में एक्ट्रेसेस को सेकंड लीड की तरह देखा जाता था. उन्होंने साबित कर दिया कि टैलेंट और मेहनत के सामने सबकुछ संभव है.
सिर्फ फिल्मों में ही नहीं, बल्कि आशा पारेख ने अन्य क्षेत्रों में भी अपनी छाप छोड़ी. वह 1998 से 2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC)की पहली महिला अध्यक्ष रहीं. अभिनय छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी डांस एकेडमी शुरू की और भरतनाट्यम के प्रचार-प्रसार में अहम योगदान दिया.
आशा पारेख की निजी जिंदगी उनके करियर जितनी सफल नहीं रही. उन्होंने कभी शादी नहीं की. एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया था कि वह फिल्म निर्माता नासिर हुसैनसे प्यार करती थीं, लेकिन चूंकि वह शादीशुदा थे, इसलिए आशा ने इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाया. उन्होंने कहा था, 'मैं किसी का घर तोड़कर अपनी खुशियां नहीं बनाना चाहती.' यही वजह रही कि उन्होंने जिंदगीभर अविवाहित रहने का फैसला किया.