मुंबई: बॉलीवुड के सुनहरे दौर में जब रोमांटिक गानों का जादू छाया हुआ था, तब अभिजीत भट्टाचार्य की आवाज ने शाहरुख खान के ऑनस्क्रीन रोमांस को नई ऊंचाई दी थी. उनकी मधुर और भावनात्मक आवाज ने शाहरुख के हर रोमांटिक सीन को और यादगार बना दिया है. दर्शकों के लिए शाहरुख और अभिजीत का मेल एक परफेक्ट जोड़ी की तरह था, जहां एक का अभिनय और दूसरे की आवाज ने मिलकर अमर यादें बनाईं.
अभिजीत के बिना शाहरुख के कई सुपरहिट गाने अधूरे माने जाते हैं. यही वजह थी कि लोग अक्सर कहते थे – अगर शाहरुख हैं तो आवाज अभिजीत की ही होगी.
30 अक्टूबर 1958 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में जन्मे अभिजीत भट्टाचार्य एक बंगाली परिवार से ताल्लुक रखते हैं. चार भाई-बहनों में सबसे छोटे अभिजीत बचपन से ही संगीत के प्रति जुनूनी थे. उन्होंने स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही मंचों पर गाना शुरू कर दिया था.
हालांकि उनका शुरुआती लक्ष्य संगीत नहीं बल्कि चार्टर्ड अकाउंटेंसी करना था. लेकिन किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही लिखा था.
1981 में जब अभिजीत मुंबई आए, तो वे पढ़ाई के साथ-साथ संगीत में भी हाथ आजमा रहे थे. तभी उनकी जिंदगी में एक ऐसा पल आया जिसने सबकुछ बदल दिया.
उन्हें एक दिन फोन आया महान संगीतकार आर.डी. बर्मन का. बर्मन साहब ने उन्हें देव आनंद के बेटे की फिल्म ‘आनंद और आनंद’ के लिए गाने का ऑफर दिया. यही वो कॉल थी जिसने अभिजीत को बॉलीवुड की दुनिया में एंट्री दिलाई. इस मौके के बाद उनका संगीत सफर कभी नहीं थमा.
अभिजीत ने 1983 में फिल्म ‘मुझे इंसाफ चाहिए’ के लिए ‘प्रेम दूत आया’ गाना गाया. हालांकि शुरुआती सालों में उन्हें बहुत बड़े मौके नहीं मिले, लेकिन 1990 का दशक उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ.
‘वादा रहा सनम’ जैसे गानों ने उन्हें लोकप्रियता की बुलंदियों पर पहुंचा दिया. इसके बाद उन्होंने ‘खिलाड़ी’, ‘शोले और शबनम’, ‘राजा बाबू’, ‘डर’, ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’ और ‘फूल और अंगार’ जैसी फिल्मों में अपनी आवाज से जादू चलाया.