Aandhi Film Banned: सन 1975 में रिलीज हुई गुलजार की फिल्म 'आंधी' आज भी सिनेमाई कला और विवादों के लिए याद की जाती है. संजीव कुमार और सुचित्रा सेन अभिनीत यह फिल्म अपने समय की बेहतरीन रिलेशनशिप ड्रामा थी, लेकिन इमरजेंसी के दौरान इसे बैन कर दिया गया था. बाद में एक सीन और फोटो जोड़ने के बाद फिल्म से प्रतिबंध हट गया और यह दर्शकों के बीच फिर से लोकप्रिय हुई. आइए जानते हैं इस फिल्म की कहानी और विवादों के बारे में.
इस फिल्म ने रिलीज होते ही उड़ाई थी बड़े-बड़े नेताओं की नींद
'आंधी' एक ऐसी महिला की कहानी है, जो अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अपने निजी जीवन को पीछे छोड़ देती है. सुचित्रा सेन ने आरती देवी का किरदार निभाया, जो एक महत्वाकांक्षी नेता बनती है, जबकि संजीव कुमार उनके पति जेके की भूमिका में हैं, जो एक होटल मैनेजर है. दोनों की प्रेम कहानी और अलगाव को गुलजार ने भावनात्मक गहराई के साथ पेश किया. फिल्म की कहानी फ्लैशबैक के जरिए सामने आती है और आरडी बर्मन के गाने जैसे तेरे बिना जिंदगी से और इस मोड़ से जाते हैं आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं.
इमरजेंसी लागू होने के बाद फिल्म को कर दिया गया बैन
फिल्म 14 फरवरी, 1975 को रिलीज हुई और शुरुआत में इसे ठीक-ठाक प्रतिक्रिया मिली. लेकिन जल्द ही यह चर्चा होने लगी कि आरती देवी का किरदार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से प्रेरित है. उनके खादी साड़ी पहनने और बालों में सफेदी की शैली ने इस बात को और हवा दी. 25 जून, 1975 को इमरजेंसी लागू होने के बाद फिल्म को बैन कर दिया गया, क्योंकि माना गया कि यह 1975 के आम चुनावों को प्रभावित कर सकती है. गुलजार उस समय मॉस्को में थे और उन्हें आदेश मिला कि फिल्म को मॉस्को फिल्म फेस्टिवल में नहीं दिखाया जाए.
सिगरेट पीने और शराब पीने वाले सीन को हटाने के बाद हुई रिलीज
निर्माता जे ओम प्रकाश ने फिल्म पर लगे बैन को हटाने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ला से मुलाकात की. उनसे कहा गया कि अगर आरती देवी को इंदिरा गांधी की तस्वीर के सामने खड़ा कर एक डायलॉग बोला जाए, जिसमें वह इंदिरा को अपनी प्रेरणा बताए, तो बैन हट सकता है. इसके अलावा आरती के सिगरेट पीने और शराब पीने वाले सीन हटाने को कहा गया. गुलजार ने ये बदलाव किए और 1977 में इंदिरा गांधी की हार के बाद जनता पार्टी सरकार ने फिल्म को दोबारा रिलीज की अनुमति दी. इसे दूरदर्शन पर भी दिखाया गया. 'आंधी' न केवल अपनी कहानी और संगीत के लिए, बल्कि उस दौर की सेंसरशिप और राजनीतिक हस्तक्षेप की मिसाल के रूप में भी याद की जाती है. यह फिल्म आज भी सिनेमा प्रेमियों के लिए एक मील का पत्थर है.