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उस रात हो जाता मुलायम सिंह यादव का एनकाउंटर, पैर पकड़कर बचाई थी जान

Mulayam Singh Yadav: 6 दशकों तक देश की राजनीति में तरह-तरह से चर्चा पाने वाले मुलायम सिंह यादव को उनके निधन के बाद भी कई वजहों से याद किया जाता है.

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Mulayam Singh Yadav
Courtesy: Samajwadi Party

समाजवादी पार्टी के संस्थापक, देश के रक्षामंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, लोकसभा सांसद जैसे पद मुलायम सिंह यादव के नाम के साथ समय-समय पर लगते रहे. अब उनके नाम के आगे दिवंगत लग चुका है और वह इस दुनिया में नहीं हैं. इसके बावजूद नेताओं के किस्से दुनिया से कहां ही जा पाते हैं. चुनावी समर में मुलायम सिंह यादव के परिवार की दूसरी पीढ़ी तो चौधरी चरण सिंह के परिवार की तीसरी पीढ़ी मैदान में है. दोस्ती-दुश्मनी और दुश्मनी-दोस्ती का खेल इस पीढ़ी में भी जारी है और कुछ महीनों पहले तक साथ-साथ चल रहे जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के रिश्ते एक बार फिर जुदा हो चुके हैं. हालांकि, आज हम मुलायम सिंह यादव के उस किस्से का जिक्र कर रहे हैं जिसने न सिर्फ उनकी जान बचाई बल्कि पूरी जिंदगी के लिए उन पर एक एहसान भी लाद दिया.

साल 1939 में जन्मे मुलायम सिंह यादव इटावा के एक सामान्य परिवार में जन्मे थे. शुरुआत में पहलवानी करने वाले मुलायम की राजनीति 15 साल की उम्र में ही शुरू हो गई थी. साल 1967 में वह पहली बार विधायक बने और 1974 में दूसरा चुनाव जीते. 1975 में इमरजेंसी के विरोध में उतरे तो 19 महीने जेल में भी रहे. 1977 में वह लोकदल के अध्यक्ष बने लेकिन बाद में पार्टी का विभाजन हो गया. 

जब जान पर बन आई

बात साल 1981 की है. उत्तर प्रदेश में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार थी. उस समय वी वी सिंह और मुलायम सिंह यादव की ज्यादा बन नहीं रही थी. खुद को बड़ा नेता बनाने में लगे मुलायम सिंह यादव के संबंध हर तरह के लोगों से थे. अचानक एक दिन अंग्रेजी मीडिया में खबर छपी कि मुलायम सिंह यादव के संबंध डकैतों से हैं और वह एक हत्या के मामले में भी शामिल हैं. आनन-फानन में वी पी सिंह की सरकार ने मुलायम सिंह यादव के एनकाउंटर का आदेश जारी कर दिया.

हर तरफ संबंध रखने वाले मुलायम सिंह यादव के कुछ समर्थक और उनके चाहने वाले पुलिस में भी थे. अपने सूत्रों के हवाले मुलायम सिंह यादव को यह खबर मिली. अब मुलायम सिंह यादव को अपनी जान बचानी थी जिसके चलते उन्होंने अपनी कार छोड़ दी. जैसे-जैसे साइकिल से वह इटावा पहुंचे. कच्चे रास्तों और गांव-गांव से होते हुए वह दिल्ली पहुंचे. दिल्ली में वह सीधे चौधरी चरण सिंह के घर पहुंचे.

चौधरी चरण सिंह उस समय केंद्र स्तर के दिग्गज नेता थे. मुलायम सिंह ने चौधरी चरण सिंह के पैर पकड़ लिया और अपनी तकलीफ बताई. मुलायम सिंह ने चरण सिंह को बताया कि पुलिस उन्हें ढूंढ रही है और एनकाउंटर के आदेश दिए गए हैं. उस समय चौधरी चरण सिंह ने न सिर्फ मुलायम सिंह यादव की जान बचाई बल्कि एक बड़ा दांव भी खेल दिया. चौधरी चरण सिंह ने मुलायम सिंह यादव को अपनी पार्टी के विधान मंडल का नेता नियुक्त कर दिया. नतीजा यह हुआ कि जो पुलिस मुलायम सिंह यादव का एनकाउंटर करने के लिए उसे ढूंढ रही थी वही उनकी सुरक्षा में लग गई.

मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक करियर

प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकले मुलायम सिंह यादव ने 7 बार सांसद बने, 8 बार विधायक बने, देश के रक्षामंत्री का पद संभाला और तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने. 82 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले मुलायम सिंह यादव राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह को अपना आदर्श मानते थे. कई बयानों, अपने परिवार को आगे बढ़ाने और राम मंदिर आंदोलन के समय कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश देने के लिए वह विवादों में भी खूब रहे.