menu-icon
India Daily
share--v1

Mirzapur Lok Sabha: मिर्जापुर में हैट्रिक लगाएंगी अनुप्रिया पटेल या सपा पलट देगी बाजी? समझिए समीकरण

Mirzapur Lok Sabha Seat: यूपी की मिर्जापुर लोकसभा सीट से लगातार दो बार से सांसद बन रहीं अनुप्रिया पटेल तीसरी बार भी इसी सीट से मैदान में उतर गई हैं.

auth-image
India Daily Live
Mirzapur Lok Sabha Seat
Courtesy: India Daily Live

उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर लोकसभा सीट को एक समय पर डकैत से नेता बनीं फूलन देवी के नाम से जाना जाता था. लगातार दो बार से इस सीट से चुनाव जीत रहीं अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री भी रह चुकी हैं. इस बार भी वह अपना दल (सोनेलाल) यानी अपनी ही पार्टी के टिकट पर मैदान में उतर गई हैं. उनके सामने इस बार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन की चुनौती है. INDIA गठबंधन में हुए सीट बंटवारे में यह सीट सपा के हिस्से में गई है और अखिलेश यादल ने यहां से राजेंद्र एस बिंद को चुनाव में उतारा है. मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने इस सीट पर मनीष तिवारी को टिकट देकर अलग तरीके का दांव खेला है.

2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो सपा और बसपा के गठबंधन के बावजूद अनुप्रिया पटेल ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी. सपा के राम चरित्र 3.59 लाख वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे थे जबकि अनुप्रिया पटेल को 5.91 लाख वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी को सिर्फ 91 हजार वोट ही मिले थे. 2014 में भी अनुप्रिया पटेल ने जीत हासिल की थी और बसपा के समुद्र बिंद दूसरे नंबर पर रहे थे.

मिर्जापुर का समीकरण क्या है?

मिर्जापुर लोकसभा सीट पर ओबीसी के साथ-साथ ब्राह्मण, वैश्य, मुस्लिम और ठाकुरों की संख्या भी अच्छी-खासी है. इस सीट पर निषाद, बिंद, कुर्मी, मौर्य और मल्लाह जैसी जातियां भी प्रभाव रखती हैं. सबसे ज्यादा कुर्मी समुदाय के 3 लाख लोग, 1.9 लाख ब्राह्मण, 1.9 लाख वैश्य, 1.2 लाख मुस्लिम और 90 हजार ठाकुर है. इस बार PDA के नारे पर चुनाव लड़ रहे अखिलेश यादव ने राजेंद्र एस बिंद को चुनाव में उतारा है. ललितेश पति त्रिपाठी यहां से चुनाव तो नहीं लड़ रहे हैं लेकिन वह इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं और टीएमसी के टिकट पर भदोही से चुनाव लड़ रहे हैं.

ऐसे में अखिलेश यादव को उम्मीद है कि मुस्लिम और ओबीसी के साथ-साथ दलित और ब्राह्मण भी उनका साथ देंगे. वहीं, अनुप्रिया पटेल एक बार फिर से पीएम नरेंद्र मोदी और अपने चेहरे पर ही चुनाव लड़ रही हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी पांच विधानसभफा सीटों पर NDA को ही जीत मिली थीं. इनमें से तीन सीटों पर बीजेपी, एक पर निषाद पार्टी और एक पर अपना दल (सोनेलाल) ने बाजी मारी थी.

क्या है मिर्जापुर लोकसभा सीट का इतिहास?

साल 1952 में इस सीट से कांग्रेस के जॉन एन विल्सन ने जीत हासिल की थी. उसके बाद श्याम धर मिश्र, बंश नारायण सिंह, अजीज इमाम, फकीर अली अंसारी, उमाकांत मिश्र, युसूफ बेग, वीरेंद्र सिंह, पूलन देवी, राम रति बिंद, नरेंद्र कुशवाह, रमेश दुबे औऱ बाल कुमार पटेल के बाद अनुप्रिया पटेल ने जीत हासिल की है. पार्टियों की बात करें तो यहां से बसपा, सपा, कांग्रेस, बीजेपी, जनता पार्टी, अपना दल, और जनता दल ने जीत हासिल की है.