सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में एसोशिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका की सनवाई करते हुए चुनाव आयोग से फॉर्म 17सी का डेटा मांगा है. याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि 17C के आंकड़े सार्वजनिक किए जाने चाहिए. चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कहा कि वोटर टर्नआउट का फॉर्म 17सी के आधार पर खुलासा करने से वोटर्स के मन में भ्रम पैदा होगा.
चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में भी कहा कि ऐसा कोई कानूनी अधिकार नहीं है जिसके तक अंतिम आंकड़ों और वोटर टर्नआउट को प्रकाशित करने को कहा जाए. चुनाव आयोग ने कहा कि फॉर्म 17सी को वेबसाइट पर अपलोड करने की वजह से कुछ लोग इमेज को मॉर्फ्ड कर सकते हैं और लोगों के मन में भ्रम और अविश्वास पैदा हो सकता है. आइए जानते हैं क्या है फॉर्म 17सी जिस पर बवाल हो रहा है.
क्या है फॉर्म-17सी?
फॉर्म 17सी में दो भाग होते हैं. पहले हिस्से में वोटों का लेखाजोखा लिखा होता है, वहीं दूसरे भाग में वोटों की गिनती का नतीजा लिखा होता है. पहला पार्ट वोटिंग वाले दिन भरा जाता है. यही मांग याचिकार्ता ने की है, जिसे सार्वजनिक करने पर चुनाव आयोग को आपत्ति है.
फॉर्म में पोलिंग स्टेशन का विवरण, नंबर, ईवीएम का नंबर, वोटरों की संख्या, अयोग्य वोटरों की संख्या और वोटिंग के दर्ज आंकड़े होते हैं. इसे सार्वजनिक करने की मांग की गई थी. अब इन आंकड़ों पर सुप्रीम कोर्ट का अगला आदेश क्या होता है, यह देखने वाली बात होगी.