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Vidisha Lok Sabha Seat: विदिशा में वापसी से दिल्ली में 'नया रोल' ले पाएंगे 'मामा शिवराज'? कितनी है उम्मीद

Shivraj Singh Chouhan Lok Sabha Seat: MP के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर अपनी ही लोकसभा सीट विदिशा से चुनाव लड़ रहे हैं.

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस साल कई राज्यों में अपने मुख्यमंत्री बदले हैं. हरियाणा के पू्र्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गज नेताओं को इस बार लोकसभा का चुनाव लड़ाया जा रहा है. मनोहर लाल खट्टर करनाल सीट से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं, शिवराज सिह चौहान उसी विदिशा सीट से चुनाव मैदान में हैं जहां से वह पांच बार सांसद रह चुके हैं. मध्य प्रदेश के सीएम पद से हटने के बाद शिवराज सिंह चौहान अब केंद्र में नई भूमिका की तैयारी में हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि विदिशा सीट पर क्या समीकरण हैं जो 'मामा' की किस्मत तय करेंगे.

एमपी की विदिशा सीट दिग्गजों की सीट रही है. इस सीट से देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री रहीं सुषमा स्वराज के साथ-साथ मशहूर पत्रकार रामनाथ गोयनका भी सांसद रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने और राज्य की राजनीति में केंद्रित होने से पहले शिवराज सिंह चौहान यहां से लगातार पांच बार चुनाव जीत चुके हैं. अब तक के कुल 16 चुनावों में से 13 बार यहां बीजेपी ही जीती है.

क्या है विदिशा का समीकरण?

अगर यह कहा जाए कि विदिशा सीट से बीजेपी का कोई भी नेता चुनाव जीत सकता है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. 2006 के उपचुनाव में रामपाल सिंह और 2019 में रमाकांत भार्गव की पांच लाख से ज्यादा वोटों से जीत यही दर्शाती है. 2019 में सुषमा स्वराज की गैरमौजूदगी में चुनाव में उतरे रमाकांत भागर्व कोई बहुत बड़ा नाम नहीं थे लेकिन उन्हें 68.23 फीसदी यानी 8.53 लाख वोट मिले. वहीं, उनके मुकाबले उतरे कांग्रेस के शैलेंद्र पटेल को 3.49 लाख वोट मिले थे. इससे पहले के चुनावों में भी जीत का अंतर बहुत बड़ा है और बीजेपी के उम्मीदवार अपने प्रतिद्वंद्वी से लगभग दोगुना ज्यादा वोट पाते रहे हैं.

कांग्रेस ने इस बार शिवराज सिंह चौहान को चुनौती देने के लिए अपने उस नेता को चुनाव मैदान में उतारा है जो इस सीट से सांसदी जीतने वाला इकलौता कांग्रेसी है. इस बार शिवराज का मुकाबला दो बार के पूर्व सांसद प्रताप भानु शर्मा से है. इस सीट पर 80 प्रतिशत से ज्यादा आबादी ग्रामीण है. इसमें से 18.68 फीसदी SC और 5.84 फीसदी ST मतदाता भी हैं. हालांकि, बीजेपी के इस गढ़ में जातीय समीकरण कभी भी प्रभारी नहीं रहे हैं.

इस साल हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी का ही परचम बुलंद रहा था. विदिशा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली कुल 8 विधानसभा सीटों में से सात पर बीजेपी को ही जीत मिली थी. सिर्फ सिलवनी सीट ऐसी थी जहां कांग्रेस के देवेंद्र पटेल ने जीत हासिल की थी. शिवराज सिंह चौहान की बुधनी विधानसभा सीट भी इसी लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और वह यहीं से मौजूदा विधायक भी हैं.