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Rajnandgaon Lok Sabha Seat: BJP का विजय रथ रोक पाएंगे भूपेश बघेल? जानिए कितनी बड़ी है चुनौती

Bhupesh Baghel: छत्तीसगढ़ में लोकसभा सीटों की अपनी संख्या बढ़ाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने सबसे बड़े नेता भूपेश बघेल को राजनांदगांव सीट पर चुनाव में उतार दिया है.

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Rajnandgaon Seat
Courtesy: India Daily Live

छत्तीसगढ़ में लोकसभा सीटों पर जीत के लिए कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश में अपने सबसे बड़े नेता और पूर्व सीएम भूपेश बघेल को मैदान में उतार दिया है. भूपेश बघेल को ऐसी सीट से चुनाव में उतारा गया है जिस पर लगातार तीन बार से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का कब्जा है. पिछले 6 चुनावों में सिर्फ एक बार ही कांग्रेस इस सीट से जीत पाई है, ऐसे में भूपेश बघेल के कंधों पर पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी डाल दी है. छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद सत्ता से बाहर हुए भूपेश बघेल के लिए यह सीट अब नाक का सवाल बन गई है क्योंकि अपनी ही अगुवाई में वह सत्ता में वापसी नहीं कर पाए थे.

पिछली बार कांग्रेस के भोला राम साहू को एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराने वाले संतोष पांडे ने बीजेपी की हैट्रिक लगवलाई थी. लगातार तीन बार से अपने मौजूदा सांसदों को बदल रही बीजेपी ने इस बार संतोष पांडे को दोबारा इस सीट से चुनाव में उतार दिया है. मुख्य मुकाबला इन्हीं दो पार्टियों का ही होना है. खुद भूपेश बघेल के चुनाव में उतरने से यह सीट देश की हाई प्रोफाइल सीटों में शामिल हो गई है.

क्या है राजनांदगांव का गणित?

इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता से बाहर जाने के बावजूद इस लोकसभा सीट की 8 में से 5 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है. इस सीट पर लगभग 5 लाख से ज्यादा साहू वोटर हैं. पिछली बार कांग्रेस ने भोला राम साहू को चुनाव लड़ाया था लेकिन वह जीत नहीं पाए थे. ऐसे में इस बार कांग्रेस ने नए सिरे से समीकरण बनाने की कोशिश की है. ओबीसी मतदाताओं के भरोसे कांग्रेस हर हाल में इस सीट को बीजेपी से छीनने की फिराक में है.

भूपेश बघेल रोक पाएंगे बीजेपी का विजय रथ?

कांग्रेस के लिए भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े ओबीसी नेता हैं. 2019 में भी इस सीट पर कांग्रेस काफी मजबूती से चुनाव लड़ी थी. ऐसे में इस बार कांग्रेस हार के उस अंतर को भूपेश बघेल के सहारे कम करना चाहती है. इन एक लाख से ज्यादा वोटों के लिए उसे अपने मौजूदा विधायकों और भूपेश बघेल के चेहरे पर ही भरोसा है. वहीं, बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद पर भरोसा जताकर यह दिखाने की कोशिश है कि उसे सीट पर ज्यादा समस्या नहीं है. हालांकि, सच्चाई यह है कि दोनों की पार्टियों के लिए यह सीट टेढ़ी खीर बन गई है.

कौन-कौन बन चुका है सांसद?

2019 में संतोष पांडे के चुनाव लड़ने से पहले इसी सीट से पूर्व सीएम रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह सांसद थे. खुद रमन सिंह भी 1999 में इसी सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने थे. कांग्रेस के बड़े नेता मोतीलाल वोरा भी 1998 में यहीं से चुनाव जीते थे. इनके अलावा, बीजेपी से मधुसूदन यादव, कांग्रेस से देवव्रत सिंह, प्रदीप गांधी, अशोक शर्मा और धर्मपाल सिहं गुप्ता बीजेपी से सांसद रहे हैं.