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कम हुई वोटिंग, क्या अब भी पूरा हो पाएगा 'अबकी बार 400 पार' का दावा? समझिए

2019 के मुकाबले पहले चरण के मतदान में बेहद कम वोटिंग देखने को मिली. आंकड़ों के हिसाब से यह मोदी सरकार के लिए चिंता पैदा करने वाली स्थिति हो सकती है.

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India Daily Live

शुक्रवार 19 अप्रैल को देश के 21 राज्यों में लोकसभा की 102 सीटों पर मतदान हुआ. पीएम मोदी की नेतृत्व में भाजपा अबकी बार 400 पार का अभियान चला रही है, लेकिन पहचे चरण में हुए कम मतदान ने भाजपा को चिंतित कर दिया है. पहले चरण में हुई कम वोटिंग को जहां कुछ लोग बदलाव की आहट बता रहे हैं वहीं कुछ का कहना है कि जनता कोई बदलाव नहीं चाहती है.आइए जानते हैं क्या है पहले चरण के मतदान को लेकर एक्सपर्ट्स की राय...

क्या भाजपा के लिए मुश्किल की स्थिति है
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राजीव रंजन गिरी कहते हैं कि मध्य प्रदेश में 2019 में 75 फीसदी वोटिंग हुई जो इस बार घटकर 63 फीसदी रह गई. वहीं बिहार में इस बार 47 फीसदी वोटिंग हुई जो पिछली बार 53 फीसदी के मुकाबले 6 फीसदी कम है. वहीं राजस्थान में इस बार 57.87 फीसदी वोटिंग हुई जो पिछली बार हुई  63.71 फीसदी के मुकाबले 6 फीसदी कम है.

वहीं उत्तर प्रदेश में 2019 में 67 फीसदी मतदान हुआ था जो इस बार घटकर 57 फीसदी ही रह गया. उन्होंने कहा कि उत्तर भारतीय राज्यों में कम वोटिंग भाजपा के लिए टेंशन खड़ी कर सकता है. उन्होंने कहा मतदान में इतनी बड़ी गिरावट किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है.

वहीं सेंटर फॉर द स्टडी ऑप डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) में लोकनीति के प्रोफेसर और सह-निदेशक संजय कुमार कहते हैं कि वोटिंग पैटर्न के आधार पर अभी कुछ भी कहना मुश्किल है. 

क्या बदलाव चाहती है सरकार
उत्तर भारत में कम वोटिंग और दक्षिण भारत में रिकॉर्ड वोटिंग क्या किसी बदलाव के संकेत हैं? इस सवाल पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कई बार लोकसभा चुनाव में कम मतदान होने के मायने यह होते हैं कि जनता कोई बदलाव नहीं चाहती है. दूसरा यह कि मतदान में मौसम की भी बड़ी भूमिका होती है. उत्तर भारत में इस समय बेहताशा गर्मी पड़ रही है हो सकता है इस वजह से भी लोग मतदान के लिए कम निकल रहे हों. ऐसे में यह मानकर चलना कि कम वोटिंग होने का मतलब सत्ता परिवर्तन है तो यह जल्दबाजी होगी. कई बार बंपर वोटिंग के बाद भी सत्ता परिर्तन देखा गया है.

5 बार मतदान प्रतिशत गिरा 4 बार बदली सरकार
मतदान गिरना सत्ता परिवर्तन का संकेत क्यों माना जाता है इसका भी आंकड़ा आपको बताते चलते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार, देश में बीते 12 आम चुनावों में से 5 में मतदान प्रतिशत में गिरावट आई थी, जिसमें से 4 बार सत्ता परिवर्तन हो गया. सिर्फ एक बार ऐसा हुआ जब कम वोटिंग के बाद भी सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ.

1980 के आम चुनाव में मतदान में गिरावट से जनता पार्टी की सरकार चली गई थी और कांग्रेस सत्ता में लौटी थी. 1989 में वोटिंग प्रतिशत गिरने से कांग्रेस की बेदखली हुई और राष्ट्रीय मोर्चा ने सत्ता संभाली. फिर 1991 में वोटिंग प्रतिशत गिरने से कांग्रेस की सरकार बनी.

केवल 1999 में ऐसा हुआ था जब कम मतदान होने के बाद भी सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ. इसके बाद 2004 में मतदान प्रतिशत गिरने से भाजपा की सरकार गई और कांग्रेस सत्ता में लौटी थी.  ऐसे में यह मोदी सरकार के लिए थोड़ी मुश्किल की स्थिति जरूर है, लेकिन जैसा की हमने कहा कि अभी वोटिंग प्रतिशत केवल पहले चरण में गिरा है. अभी 6 चरणों में चुनाव होना बाकी है.
 

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