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जीत पक्की फिर भी बने हुए हैं सवाल, राहुल गांधी के लिए जी का जंजाल बनी हुई है वायनाड की सीट?

Lok Sabha Elections 2024: राहुल गांधी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी मौजूदा सीट वायनाड से नामांकन भर दिया है लेकिन अभी यूपी की उनकी दूसरी सीट पर लगातार सस्पेंस बना हुआ है. ऐसे में आइये एक नजर राहुल गांधी की वायनाड सीट पर उससे बन रहे आंकड़ों पर डालते हैं.

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Vineet Kumar
rahul gandhi wayanad seat fight

Lok Sabha Elections 2024: 2019 के लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी ने वायनाड की सीट से दावेदारी दे कर सभी को चौंका दिया था. राहुल गांधी के नामांकन के चलते ही ये सीट चर्चा में आई और नतीजे आने के बाद राहुल गांधी की इज्जत बचाने वाली सीट भी, क्योंकि यूपी की अमेठी सीट पर राहुल गांधी को स्मृति इरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

त्रिकोणीय मुकाबले रोमांचक हुई लड़ाई

आगामी लोकसभा चुनावों के लिए भी राहुल गांधी ने वायनाड की सीट से नामांकन भर दिया है लेकिन उन्हें इंडिया गठबंधन में शामिल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय  नेता एनी राजा का सामना करना पड़ रहा है. इस सीट पर सिर्फ CPI ने ही अपने उम्मीदवार से सियासी लड़ाई को रोमांचक नहीं बनाया है बल्कि भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने स्टेट प्रेसिडेंट के सुरेंद्रन को मैदान में उतार कर इसे त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है.

वायनाड को केरल में यूडीएफ की सबसे सुरक्षित सीट कहा जाता है जिस पर राहुल गांधी ने 2019 में 4.3 लाख के भारी वोटों से जीत हासिल की थी. इस दौरान उनके हिस्से में 64.8 प्रतिशत वोट शेयर रहे थे. भले ही मुकाबला त्रिकोणीय और रोमांचक हो चुका है लेकिन इसके बावजूद लोगों को इस बार भी यहां पर ज्यादा हैरानी भरा नतीजा देखने की उम्मीद नहीं है और राहुल गांधी की जीत पक्की लग रही है.

साउथ की हॉट सीट बन चुका है वायनाड

नतीजे को एक बार को छोड़ दिया जाए तो राहुल गांधी के दक्षिण की सबसे सुरक्षित सीट से लड़ने और विपक्ष की ओर से इसे जीतने के लिए ताकत लगाने के जुनून ने वायनाड को राजनीति की सबसे हॉट सीटों में शामिल कर दिया है. पहले से ही, वायनाड में राहुल के चुनाव लड़ने से भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक गोला-बारूद मिल गया है, चाहे वह आईयूएमएल कनेक्शन को उठाना हो, झंडे का मुद्दा हो या यह कहना कि वायनाड में 'अल्पसंख्यक' 'बहुमत' है. 

जीत पक्की पर राहुल गांधी को लेकर उठ रहे सवाल

वायनाड की सीट पर एलडीएफ और एनडीए दोनों ने ही राहुल गांधी के खिलाफ उनके ही गठबंधन के साथी और सीपीआई नेता के चुनाव लड़ने को लेकर उनके राजनीतिक बुद्धिमता पर भी सवाल खडे़ किए हैं.  वहीं एलडीएफ ने अपने आरोपों को सही बताने के लिए ये आरोप भी लगाए कि बीजेपी के खिलाफ सीधी लड़ाई में कांग्रेस ईमानदार नहीं है और इसी का फायदा उठाकर भगवा पार्टी उनकी गलतियां उजागर कर रही है.

भले ही एलडीएफ के पास जीत हासिल करने का मौका नहीं है लेकिन वो वायनाड में राहुल गांधी के जीत के अंतर को कम करने का पूरा प्रयास कर रही है. एलडीएफ का पूरा चुनावी अभियान स्थानीय समस्याओं पर फोकस हैं जिसमें आदमी और जंगल की समस्याएं, विकास के चलते जिलों में बढ़ रही दिक्कतें भी शामिल हैं. इस दौरान वो राहुल के अपने निर्वाचन क्षेत्र से गायब रहने पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं और उन्हें वो सांसद बताने की कोशिश कर रहे हैं जो अपने वोटर्स के लिए उपलब्ध नहीं रहता है.

अमेठी वाले फॉर्मूले पर कैंपेन कर रही हैंं एनी राजा

एनी राजा की बात करें तो वो स्मृति इरानी के फॉर्मूले पर ही काम कर रही हैं और अपने चुनाव प्रचार जिस तरह से बीजेपी सांसद ने राहुल के गायब रहने को मुद्दा बनाया तो वो भी वायनाड में उसी को भुना रही हैं. एनी राजा ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से ये तक कहा है कि अगर वो जीत जाती हैं तो वो लोगों के बीच रहेंगी. इतना ही नहीं एलडीएफ भी लगातार इस कोशिश में लगी है कि इन चुनावों में एनी राजा को उसके सारे परंपरागत वोट मिलें, ऐसे में राहुल गांधी के वोटों में पिछली बार के मुकाबले गिरावट आना लाजमी है. कई राष्ट्रीय मुद्दों पर एक योद्धा की छवि रखने वाली एनी राजा 1 मार्च से वायनाड निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार कर रही हैं. 

प्रचार की लड़ाई में राहुल गांधी को कम आंकना भी गलती साब यहां तक कि जब राहुल गांधी प्रचार से गायब नजर आ रहे थे तो यूडीएफ ने भी लगातार घरों में जाकर लोगों को जागरुक करने की कवायद जारी रखे हुई थी. यूडीएफ मैनेजर्स का मानना है कि जिस तरह से सोमवार और मंगलवार को राहुल गांधी के रोड शो में भारी भीड़ जमा हुई थी उससे साफ नजर आता है कि इस निर्वाचन क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता कितनी ज्यादा है.

राहुल गांधी ने यहां जिस तरह से पिछले 10 रोड शो किए हैं और उसमें लोगों की तरफ से महसूस किए जा रहे मुद्दों को उठाया है वो दर्शाता है कि वो दूर होकर भी अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर नहीं रहे हैं, फिर चाहे वो मानव-वन्य जीवन का मुद्दा हो, मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी का मुद्दा हो या फिर रात को ट्रैफिक पर बैन का मुद्दा क्यों न हो, उन्होंने इन सब पर बात की और इसे सुलझाने का आश्वासन भी दिया है.