Lok Sabha Elections 2024: एक बार फिर चौंकाते हुए भाजपा ने गाजीपुर से ऐसे शख्स को संसदीय चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतार दिया, जिसके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को पता नहीं है. हो सकता है कि उनके बारे में गाजीपुर के लोग जानते हों, लेकिन भाजपा के अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले वे बिलकुल अननोन फेस हैं. एक दिन पहले यानी बुधवार को भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 7 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों का ऐलान किया. इसमें गाजीपुर लोकसभा सीट के लिए भी प्रत्याशी की घोषणा हुई. पार्टी ने अपने पुराने कार्यकर्ता और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े रहे पारस नाथ रॉय को चुनावी मैदान में उतरा दिया. पारस नाथ राय का सीधा मुकाबला INDA गठबंधन के उम्मीदवार अफजाल अंसारी से होगा.
भाजपा की ओर से पारस नाथ राय के नाम की घोषणा के बाद जब उनसे पत्रकारों ने सवाल पूछा तो उन्होंने बताया कि जब मेरे नाम की घोषणा हुई, उस वक्त में बच्चों को पढ़ा रहा था. गाजीपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने से जुड़े एक सवाल पर पारस नाथ राय ने कहा कि मैं तो क्लास में बच्चों को पढ़ा रहा था, किसी ने मुझे आकर बताया कि आपको गाजीपुर सीट से प्रत्याशी बनाया गया है.
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब मैंने टिकट दिए जाने के बारे में सुना, तो मुझे ऐसा लगा, जैसे संघ ने मुझे संगठन का एक और काम दे दिया है. उन्होंने कहा कि कभी भी मैंने भारतीय जनता पार्टी से टिकट नहीं मांगा है. जब उनसे पूछा गया कि आपको पता है कि आपका मुकाबला किससे हैं, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं संघ का एक सामान्य कार्यकर्ता और सिपाही हूं. मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि सामने कौन है, किसके खिलाफ मैं चुनाव लड़ रहा हूं.
#WATCH | Uttar Pradesh | On his candidature from the Ghazipur Lok Sabha constituency, BJP candidate Paras Nath Rai says, "When I got the information, I was teaching in a class. It's like the Sangh has given me another work of the organisation. I haven't asked for the ticket. I am… pic.twitter.com/iTRxs6x82O
— ANI (@ANI) April 11, 2024
पारस नाथ राय ने बताया कि आठ वर्ष की उम्र से मेरा संघ से जुड़ाव रहा है. हिंदू यूनिवर्टिसी में पढ़ाई के दौरान ये संबंध और प्रगाढ़ हो गया. उन्होंने बताया कि गाजीपुर का कोई ऐसा गांव और गली नहीं होगा, जहां मैं संघ के काम से न गया हूं. वहां के सभी लोग मुझे जानते हैं और यही मेरे काम का आधार है.
पार्टी सूत्रों की मानें तो पूर्वांचल की गाजीपुर सीट, जम्मू कश्मीर के वर्तमान एलजी यानी उपराज्यपाल का गढ़ रही है. यहां के लिए जब प्रत्याशी के नाम पर मंथन चल रहा था, तब मनोज सिन्हा के साथ-साथ उनके बेटे पेशे से इंजीनियर अभिनव सिन्हा का नाम सामने आया था. चूंकि, केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में से जम्मू-कश्मीर एक है, इसलिए मनोज सिन्हा के नाम पर मंथन बंद कर दिया गया. इसके बाद अब बारी अभिनव सिन्हा के नाम की थी, लेकिन परिवारवाद का आरोप न लगे, इसलिए उनके नाम पर भी चर्चा बंद हो गई. अब पार्टी के सामने सवाल था कि आखिर पूर्वांचल में भूमिहार समुदाय से आने वाले किस नेता को टिकट दिया जाए.
सूत्रों के मुताबिक, तमाम जद्दोजहद और माथापच्ची के बाद राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने पारस नाथ राय का नाम सुझाया. वे संघ के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं. उनकी छवि भी भरोसे वाली और सच्चे सिपाही वाली रही है. ऐसे में भआजपा ने 68 साल के पारस नाथ राय पर दांव लगाने के बारे में सोचना शुरू किया. आखिर में चुनाव समिति और संघ से विचार विमर्श के बाद पारस नाथ राय को अफजाल के सामने चुनावी समर में उतार दिया गया.
पारस नाथ राय जखनियां विधानसभा क्षेत्र के मनिहारी ब्लाक के सिखड़ी गांव के रहने वाले हैं. वे छात्र जीवन में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी ABVP से जुड़ गए थे. इसके बाद उन्होंने संघ से रिश्ता जोड़ा, जो लंबे समय से आज भी कायम है. जनवरी 1955 में जन्में पारस नाथ राय ने गाजीपुर के पीजी कॉलेज से बीएड किया है और काशी हिंदू यूनिवर्सिटी से मास्टर्स किया है. फिलहाल, वे शबरी महिला यूनिवर्सिटी, पंडित मदन मोहन मालवीय इंटर कालेज और विद्या भारती स्कूल के मैनेजर हैं.