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Kannauj Lok Sabha Seat: तेज प्रताप वापस लेंगे दादा की 'जमीन' या सुब्रत पाठक फिर बिगाड़ेंगे खेल?

Kannauj Lok Sabha: उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा सीट पर सपा ने इस बार तेज प्रताप यादव को चुनाव में उतारा है और उनका मुकाबला मौजूदा सांसद सुब्रत पाठक से होना है.

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Kannauj Lok Sabha Seat
Courtesy: India Daily Live

समाजवादी पार्टी (SP) ने सोमवार को अपनी एक और लिस्ट निकालकर तमाम अटकलों को विराम दे दिया. समाजवादी पार्टी की पारंपरिक सीट रही कन्नौज से अखिलेश यादव के लड़ने की चर्चाएं थीं लेकिन आखिर में यहां से तेज प्रताप यादव को चुनाव में उतारा गया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट से डिंपल यादव चुनाव हार गई थीं और यादव परिवार को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी. जिस सीट से मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव जैसे नेता सांसद रहें, अब उसी सीट को वापस जीतने की जिम्मेदारी युवा तेज प्रताप के कंधों पर सौंप दी गई है.

समाजवादी पार्टी ने इस बार अखिलेश यादव के परिवार से पांचवें नेता को चुनाव में उतार दिया है. इससे पहले, धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से, डिंपल यादव को मैनपुरी से, अक्षय यादव को मैनपुरी से और आदित्य यादव को बदायूं सीट से चुनाव में उतारा जा चुका है. यानी उत्तर प्रदेश की 80 में से 5 लोकसभा सीटों पर अखिलेश यादव के परिवार के लोग ही चुनाव लड़ रहे हैं. 2019 में भी परिवार के कई नेता चुनाव लड़े थे लेकिन सिर्फ अखिलेश यादव आजमगढ़ से चुनाव जीत पाए थे. उपचुनाव में वह सीट भी सपा हार गई.

कन्नौज का समीकरण क्या है?

साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र की चार सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की और सपा की रेखा वर्मा ही औरैया से जीतकर विधानसभा पहुंचीं. 1998 से 2019 तक सपा के कब्जे में रही इस सीट पर अखिलेश यादव के परिवार की चूलें सुब्रत पाठक ने हिलाकर रख दी थीं. ऐसे में बीजेपी ने एक बार फिर से सुब्रत पाठक पर ही भरोसा जताया है और अपने गढ़ में ही सपा नर्वस लग रही है.

इस सीट पर सबसे ज्यादा यादव 16 फीसदी हैं. वहीं, मुस्लिम 16 फीसदी, ब्राह्मण 15 फीसदी, 10 फीसदी राजपूत और बाकी के 39 फीसदी में अन्य जातियां हैं. लगभग 18 लाख से ज्यादा मतदाताओं में से सुब्रत पाठक पिछली बार 5.63 लाख वोट लेकर चुनाव जीते थे. वहीं, डिंपल यादव 5.5 लाख वोट पाकर दूसरे नंबर पर रही थीं. इस सीट पर मुख्य लड़ाई सपा और बसपा के बीच ही है. हालांकि, बसपा ने इस बार मुस्लिम उम्मीदवार देकर चुनाव को और रोचक बना दिया है.

रोचक होगी जंग

सपा, बसपा और बीजेपी के साथ-साथ स्वामी प्रसाद मौर्य की राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी ने पूर्व सांसद रामबख्स वर्मा के बेटे आलोक वर्मा को इसी सीट से चुनाव में उतार दिया है. सपा को अपने पारिवारिक रिश्तों पर भरोसा है तो सुब्रत पाठक लगातार चुनौती दे रहे हैं. सुब्रत पाठक का दावा है कि कन्नौज से सपा की जड़ें उखड़ गई हैं. बीजेपी भी 2022 के नतीजों के बाद और आत्मविश्वास से भरी हुई है. हालांकि, पिछली बार जीत-हार के बेहद कम अंतर के चलते इस सीट के नतीजों को लेकर किसी भी तरह का कयास उल्टा ही पड़ सकता है.

कन्नौज का इतिहास

बीते आठ लोकसभा चुनावों की बात करें तो सात बार समाजवादी पार्टी ने ही यहां से जीत हासिल की है. साल 1967 में जब इस सीट पर पहली बार लोकसभा के चुनाव हुए थे तो समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के बैनर तले इसी सीट से चुनाव जीते थे. उनके बाद साल 1984 में शीला दीक्षित इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतीं. 1999 में मुलायम सिंह यादव कन्नौज से चुनाव जीते. साल 2000 के उपचुनाव में अखिलेश यादव इसी सीट से सांसद बने. इसके बाद वह 2004 और 2009 में भी कन्नौज से सांसद बने. 2012 में जब वह सीएम बन गए तो उपचुनाव में डिंपल यादव चुनाव जीतकर सांसद बन गईं. 2014 में वह फिर से चुनाव जीतीं लेकिन 2019 में सुब्रत पाठक ने उन्हें चुनाव हरा दिया.