सुप्रीम कोर्ट ने आज टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत देते हुए केंद्र को 9,450 करोड़ रुपए के समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाए में ढील देने पर पुनर्विचार करने की अनुमति दी. अदालत ने तर्क दिया कि यह मामला केंद्र के नीतिगत अधिकार क्षेत्र में आता है.
कोर्ट के फैसले के बाद VI के शेयरों में जबरदस्त तेजी दिखी और इंट्राडे में वोडाफोन के शेयर 4.16% की तेजी के साथ बंद हुए.
AGR शुल्क को साझा करने का उपकरण है जिसके तहत टेलीकॉम ऑपरेटर्स को लाइसेंस के शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग के बदले में केद्र के साथ अपने राजस्व का कुछ हिस्सा साझा करना होता है. एजीआर की परिभाषा को लेकर केंद्र और दूरसंचार कंपनियों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था.
दूरसंचार दिग्गजों ने तर्क दिया था कि एजीआर केवल मुख्य सेवाओं पर आधारित होना चाहिए, वहीं केंद्र का तर्क था कि इसमें टेलीकॉम दिग्गजों द्वारा मुहैया कराई जाने वाली गैर-टेलीकॉम सेवाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए.
साल 2019 को दिए अपने निर्णायक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की एजीआर की परिभाषा को अनुमति देते हुए केंद्र सरकार को 92,000 करोड़ के बकाए को वसूलने की अनुमति दी थी. कोर्ट के इस फैसले से टेलीकॉम दिग्गजों वोडाफोन और भारती एयरटेल को तगड़ा झटका लगा था.
वोडाफोन की ताजा याचिका में दूरसंचार विभाग द्वारा 9,450 करोड़ रुपए की एजीआर डिमांड का मुद्दा उठाया गया है. याचिका में कहा गया है कि मांग का एक बड़ा हिस्सा 2017 से पहले का है जिसका निपटारा सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कर दिया है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा, 'इस मामले में परिस्थितियां काफी ज्यादा बदल चुकी हैं क्योंकि सरकार ने वोडाफोन में हिस्सेदारी खरीदी है. सरकार का हित जनहित है. 20 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं और अगर कंपनी मुसीबत में है तो इसका सीधा असर ग्राहकों पर पड़ेगा.'
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केंद्र इस मुद्दे पर विचार करने को तैयार है. कोर्ट ने आगे कहा कि अगर कोर्ट अनुमति दे तो सरकार पुनर्विचार करने और उचित निर्णय लेने को भी तैयार है. इन विशिष्ट तथ्यों को देखते हुए हमें इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने में कोई बाधा नहीं दिखी. हम स्पष्ट करते हैं कि यह नीतिगत मामला है और इसलिए केंद्र को ऐसा करने से रोकने का कोई कारण नहीं है.