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India Daily

मात्र 100 वर्ग गज के कमरे में कीड़ाजड़ी उगाकर कर रहे लाखों की कमाई, युवा किसान ट्रेनिंग लेकर हो रहे मालामाल!

बेमौसम बरसात, आंधी, तूफान, ओलावृष्टि के कारण देश में हर साल सैकड़ों किसान आत्महत्या कर लेते हैं, ऐसे में इंडोर कीड़ाजड़ी की खेती किसानों के लिए एक शानदार विकल्प साबित हो सकता है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
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Reported By: Sagar Bhardwaj
Ramesh Gera of Panchkula is training farmers on indoor farming of Cordyceps and saffron
Courtesy: India daily live

Ramesh Gera Indoor Farming: नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में हर एक घंटे के अंदर कृषि क्षेत्र से जुड़े कम से कम एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर जान दे दी. रिपोर्ट में इसके पीछे आर्थिक स्थिति का हवाला दिया गया है. मरने वाले किसानों में सबसे अधिक महाराष्ट्र के किसान थे. जनवरी से मार्च तक मात्र तीन महीने के भीतर महाराष्ट्र में 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली. वजह मौसम की मार. बेमौसम बरसात, आंधी, तूफान, ओलावृष्टि के कारण हर साल किसान की फसल खराब हो रही है. हर साल किसान हजारों-लाखों रुपए का कर्ज लेकर फसल बोता है लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण उसे हर बार घाटा ही उठाना पड़ता है और इसका नतीजा यह होता है कर्ज के बोझ के तले दबा किसान आखिरकार अपनी जीवनलीला समाप्त कर लेता. तमाम सरकारें आई गईं लेकिन इस कृषि प्रधान देश में किसान की समस्या का समाधान नहीं निकला.

सरकारें भले ही किसानों की समस्या का समाधान नहीं निकाल पाईं लेकिन रिटायर्ड इंजीनियर रमेश गेरा ने इसका समाधान खोज निकाला है. देश के लिए कुछ करने की चाहत ने रमेश को रिटायर नहीं होने दिया और आज वह मात्र 100 वर्ग गज के कमरे में कीड़ाजड़ी (Cordyceps) की खेती कर ना सिर्फ मोटा मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि देश के युवा किसानों को इसकी ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. यानी जब अब आप एक कमरे के अंदर खेती करेंगे तो ना तो आप पर मौसम की मार पड़ेगी और न ही आपकी फसल खराब होगी.

हरियाणा के पंचकुला में मात्र 100 वर्ग गज के कमरे में कीड़ाजड़ी की खेती कर रहे रमेश गेरा जी बताते हैं कि हर रोज उनके पास देश के कई युवा किसान उस तकनीक को सीखने आते है और कई इस तकनीक को सीखने के बाद भारी मुनाफा कमा रहे हैं.रमेश गेरा के इस प्रयोग की धमक विदेशों तक पहुंच चुकी है और यही वजह है कि विदेशों से भी लोग उनके पास इंडोर कीड़ाजड़ी की खेती की ट्रेनिंग लेने आ रहे हैं.

एक कमरे की कीड़ाजड़ी से लाखों की कमाई

कीड़ाजड़ी एक फफूंद होती है जिसका इस्तेमाल लंबे समय से पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता रहा है. मुख्य रूप से यरह हिमालयी क्षेत्रों और तिब्बत में पाई जाती है. जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान की मई 2020 की एक रिसर्च के मुताबिक इसका उपयोग कई बीमारियों जैसे दस्त, सिरदर्द, खांसी, गठिया, अस्थमा, फुफ्फुसीय रोग, हृदय संबंधी विकार, यौन रोग, गुर्दे और यकृत रोग के उपचार के लिए किया जाता है. इसके औषधीय गुणों के चलते आज इसकी कीमत लाखों में है. एक किलो कीड़ाजड़ी की कीमत करीब 23 लाख रुपए है.

कश्मीर की वादियों से कमरे तक लाए केसर 

हिमालय की चोटियों पर मिलने वाली कीड़ाजड़ी को कमरे के अंदर उगाने का कारनामा रमेश गेरा के लिए नया नहीं है. इससे पहले वह कश्मीर के केसर को कमरे में उगाने का सफल प्रयोग कर चुके हैं. कमरे के अंदर केसर उगाने के लिए उन्हें कई मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है. किसान केसर की इंडोर फार्मिंग की ट्रेनिंग लेकर हर साल लाखों की कमाई कर सकते हैं.

हाइड्रोपोनिक, एक्वापोनिक, मल्टीलेयर फार्मिंग में भी महारथ

रमेश गेरा जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में इंडोर फार्मिंग ही खेती का भविष्य है. इसलिए वह कृषि के आधुनिक तरीकों के साथ लगातार प्रयोग कर रहे हैं और देश के किसानों तक उसकी जानकारी पहुंचा रहे हैं. कीड़ाजड़ी और केसर के अलावा रमेश हाइड्रोपोनिक, एक्वापोनिक और मल्टीलेयर फार्मिंग के बारे में भी युवा किसानों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. अगर आप भी खेती में मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो रमेश गेरा से जी से 742849656 पर संपर्क कर सकते हैं.

Input: सागर भारद्वाज और अनुभव मणि त्रिपाठी की साझा रिपोर्ट