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India Daily

ट्रम्प का टैरिफ भी नहीं डिगा पाया इंडियन स्टॉक मार्केट, जानें वो 3 बड़ी वजह जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति को दिया मुंहतोड़ जवाब?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ और एक्स्ट्रा जुर्माना लगाने की घोषणा के बाद गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में तेजी से रिकवरी करते हुए निचले स्तर से 700 अंक से अधिक ऊपर गया. 

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Edited By: Garima Singh
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Courtesy: x

Stock market: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ और एक्स्ट्रा जुर्माना लगाने की घोषणा के बाद गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में हल्की गिरावट देखी गई. निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स में शुरुआती नरमी के बावजूद, बाजार ने तेजी से रिकवरी की और दिन के निचले स्तर से 700 अंक से अधिक ऊपर गया. आश्चर्यजनक रूप से, ट्रंप की इस नीति ने भारतीय शेयर बाजार को अपेक्षित रूप से प्रभावित नहीं किया. आइए, इसके पीछे के कारणों और बाजार की मजबूती को समझते हैं.

1 अगस्त से लागू होने वाले इस टैरिफ ने भारत को ट्रंप प्रशासन के प्रमुख एशियाई फोकस के रूप में स्थापित किया है. भारत पर लगाया गया 25% टैरिफ वियतनाम (20%), इंडोनेशिया और फिलीपींस (19%) की तुलना में काफी अधिक है. आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के फंडामेंटल रिसर्च प्रमुख नरेंद्र सोलंकी ने बताया, "30 जुलाई को, अमेरिका ने सभी भारतीय निर्यातों पर 25% टैरिफ लागू किया, जिससे 81 अरब डॉलर का व्यापार जोखिम में पड़ गया. इस कदम से फार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल्स जैसे क्षेत्रों के मार्जिन में कमी आने की आशंका है, और भारत की जीडीपी वृद्धि पर 0.3-0.4% का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है."

1 -  बाजार की लचीलापन और निवेशकों का भरोसा

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने टैरिफ के प्रभाव को पहले ही ध्यान में रख लिया है. पिछले आठ दिनों की बिकवाली में FII ने लगभग 25,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, फिर भी बाजार स्थिर रहा. सोलंकी ने आगे कहा, "रुपये में कमजोरी भारतीय निर्यातकों के मार्जिन दबाव को आंशिक रूप से कम कर सकती है. यह घोषणा भारत की रणनीति की परीक्षा है, जो वैश्विक संबंधों में संतुलन बनाए रखते हुए अपने आर्थिक हितों की रक्षा करती है. भारत बातचीत के जरिए तनाव कम करने की कोशिश कर सकता है, लेकिन उसका रुख बदलने की संभावना कम है."

2- व्यापार समझौतों की संभावना

नोमुरा की अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा, "25% की उच्च टैरिफ दर अस्थायी हो सकती है और भविष्य में कम हो सकती है. भारत अमेरिका के साथ एक व्यापक व्यापार समझौता करने की प्रक्रिया में है, जो 2025 के अंत तक संभव है." भारत सरकार ने सख्त समय-सीमाओं की जल्दबाजी के बजाय गहन मूल्यांकन पर ध्यान दिया है. ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि अगस्त के अंत में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल के भारत दौरे से टैरिफ में कमी की संभावना बढ़ सकती है, और अंतिम दर 15-20% तक हो सकती है.

3- निवेशकों के लिए अवसर

जियोजित के डॉ. वी.के. विजयकुमार ने कहा, "यह टैरिफ ट्रंप की विशिष्ट वार्ता रणनीति का हिस्सा है, और समझौता 20% या उससे कम टैरिफ दर पर हो सकता है." उन्होंने निवेशकों को सलाह दी कि वे निफ्टी के 24,500 के समर्थन स्तर पर नजर रखें और निजी बैंकिंग, दूरसंचार, पूंजीगत वस्तुओं, सीमेंट, होटल और चुनिंदा ऑटो क्षेत्रों में गिरावट पर खरीदारी करें. एमके की अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने आश्वस्त किया, "टैरिफ का वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में आय सुधार पर कम प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वित्तीय, उपभोग और प्रौद्योगिकी क्षेत्र इससे अप्रभावित रहेंगे."