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India Daily

लगातार उफान मारती भारत की अर्थव्यवस्था, चौथी तिमाही में दर्ज किया रिकॉर्ड करंट अकाउंट सरप्लस, FY25 में घाटा घटकर 0.6% रहा

सेवा निर्यात में वृद्धि और प्राथमिक आय आउटफ्लो में कमी ने भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूती दी है. यह चालू खाता घाटे को नियंत्रित करने और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
India posts record current account surplus in Q4

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में भारत ने अपेक्षा से अधिक चालू खाता अधिशेष (करंट अकाउंट सरप्लस) दर्ज किया, जिसके परिणामस्वरूप पूरे वर्ष का चालू खाता घाटा (CAD) 0.7% से घटकर जीडीपी का 0.6% हो गया. चौथी तिमाही में चालू खाता अधिशेष जीडीपी का 1.3% रहा, जो पिछली तिमाही में 1.1% घाटे और पिछले वर्ष की समान तिमाही में 0.5% अधिशेष से बेहतर है. ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, “जबकि चालू खाता संतुलन ने FY2025 की चौथी तिमाही में अपेक्षित रूप से मौसमी अधिशेष दर्ज किया, इसकी मात्रा हमारी अपेक्षाओं से अधिक थी, क्योंकि इस तिमाही में प्राथमिक आय के आउटफ्लो में आश्चर्यजनक कमी आई. इसने FY2025 में CAD को 0.7% से घटाकर 0.6% कर दिया.”

वस्तु व्यापार घाटा और सेवा निर्यात में वृद्धि

भारत का वस्तु व्यापार घाटा FY25 की चौथी तिमाही में 59.5 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में 52 अरब डॉलर था, लेकिन तीसरी तिमाही के 79.3 अरब डॉलर से कम है. व्यवसायिक सेवाओं और कंप्यूटर सेवाओं, विशेष रूप से जीसीसी (ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर) व्यवसायों की वृद्धि ने व्यापार घाटे को कम करने में मदद की. सेवा प्राप्तियां Q4 FY2024-25 में 53.3 अरब डॉलर तक बढ़ीं, जो एक साल पहले 42.7 अरब डॉलर थीं.

प्राथमिक आय और निवेश में कमी

प्राथमिक आय खाते में शुद्ध आउटफ्लो, जो मुख्य रूप से निवेश आय के भुगतान को दर्शाता है, Q4 FY25 में 11.9 अरब डॉलर रहा, जो Q4 FY24 के 14.8 अरब डॉलर से कम है. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में शुद्ध इनफ्लो 2024-25 में 1.0 अरब डॉलर रहा, जो 2023-24 में 10.2 अरब डॉलर से काफी कम है. पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में भी 2024-25 में 3.6 अरब डॉलर का शुद्ध इनफ्लो दर्ज हुआ, जो पिछले वर्ष के 44.1 अरब डॉलर से कम है.

आर्थिक स्थिरता की दिशा में कदम

सेवा निर्यात में वृद्धि और प्राथमिक आय आउटफ्लो में कमी ने भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूती दी है. यह चालू खाता घाटे को नियंत्रित करने और अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.