वर्तमान में कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) से पूरी राशि निकालने की अनुमति केवल रिटायरमेंट या दो महीने से अधिक बेरोजगार रहने की स्थिति में होती है. लेकिन केंद्र सरकार अब इस सख्ती को कम करने पर विचार कर रही है, जिससे लोग हर 10 साल में अपने EPF खाते से पैसा निकाल सकें.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) एक ऐसा प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसमें हर 10 साल में एक बार पूरी या आंशिक निकासी की अनुमति दी जा सकती है. यह प्रस्ताव इसलिए लाया जा रहा है ताकि सदस्य अपनी वित्तीय जरूरतों के अनुसार योजना बना सकें. एक अधिकारी ने बताया कि यह विकल्प सदस्यों को यह तय करने की आज़ादी देगा कि उन्हें अपने फंड का उपयोग कैसे करना है. हालांकि, यह भी विचार किया जा रहा है कि एक बार में पूरी राशि की जगह केवल 60% तक निकासी की अनुमति दी जाए.
वर्तमान में EPF से आंशिक निकासी केवल कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे घर खरीदना, मेडिकल इमरजेंसी, शिक्षा या शादी के लिए होती है. हाल ही में EPFO ने इस नियम में भी ढील दी है. अब सदस्य तीन साल की लगातार सेवावधि के बाद भी 90% तक राशि निकाल सकते हैं, जबकि पहले यह सीमा पांच साल थी. साथ ही एडवांस क्लेम के लिए बिना अतिरिक्त मंज़ूरी के भुगतान की सीमा भी 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दी गई है.
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रस्ताव से EPF की मूल भावना, यानी सुरक्षित रिटायरमेंट को नुकसान पहुंच सकता है. लंबे समय तक लगातार बचत और चक्रवृद्धि ब्याज के ज़रिए ही एक मजबूत रिटायरमेंट कोष तैयार किया जा सकता है. इसलिए निकासी की शर्तों को सावधानी से तय करना जरूरी है ताकि अल्पकालिक जरूरतें लंबी अवधि की सुरक्षा को प्रभावित न करें.
साथ ही विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि EPFO की मौजूदा आईटी व्यवस्था बार-बार होने वाले निकासी अनुरोधों को संभालने के लिए सक्षम नहीं है. इससे न केवल प्रणाली पर बोझ बढ़ेगा, बल्कि धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ सकते हैं. EPF स्कीम देश के करोड़ों वेतनभोगियों की रिटायरमेंट सुरक्षा का आधार है, जिसमें सरकार और कर्मचारी दोनों योगदान करते हैं. ऐसे में किसी भी बदलाव को लागू करने से पहले तकनीकी और वित्तीय स्तर पर पूरी तैयारी जरूरी होगी.