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EPF से हर 10 साल में पूरी रकम निकालने की मिल सकती है छूट, सरकार बना रही बड़ा प्लान

सरकार भविष्य निधि (EPF) खाते से पैसे निकालने के नियमों में ढील देने पर विचार कर रही है. प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, हर 10 साल में एक बार सदस्य अपने खाते से पूरी या आंशिक रकम निकाल सकेंगे, जिससे उन्हें वित्तीय योजना बनाने की अधिक स्वतंत्रता मिलेगी.

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Edited By: Kuldeep Sharma
EPFO
Courtesy: WEB

वर्तमान में कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) से पूरी राशि निकालने की अनुमति केवल रिटायरमेंट या दो महीने से अधिक बेरोजगार रहने की स्थिति में होती है. लेकिन केंद्र सरकार अब इस सख्ती को कम करने पर विचार कर रही है, जिससे लोग हर 10 साल में अपने EPF खाते से पैसा निकाल सकें.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) एक ऐसा प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसमें हर 10 साल में एक बार पूरी या आंशिक निकासी की अनुमति दी जा सकती है. यह प्रस्ताव इसलिए लाया जा रहा है ताकि सदस्य अपनी वित्तीय जरूरतों के अनुसार योजना बना सकें. एक अधिकारी ने बताया कि यह विकल्प सदस्यों को यह तय करने की आज़ादी देगा कि उन्हें अपने फंड का उपयोग कैसे करना है. हालांकि, यह भी विचार किया जा रहा है कि एक बार में पूरी राशि की जगह केवल 60% तक निकासी की अनुमति दी जाए.

घर और शिक्षा जैसे मामलों में मिल रही छूट

वर्तमान में EPF से आंशिक निकासी केवल कुछ विशेष परिस्थितियों जैसे घर खरीदना, मेडिकल इमरजेंसी, शिक्षा या शादी के लिए होती है. हाल ही में EPFO ने इस नियम में भी ढील दी है. अब सदस्य तीन साल की लगातार सेवावधि के बाद भी 90% तक राशि निकाल सकते हैं, जबकि पहले यह सीमा पांच साल थी. साथ ही एडवांस क्लेम के लिए बिना अतिरिक्त मंज़ूरी के भुगतान की सीमा भी 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दी गई है.

एक्सपर्ट्स ने जताई चिंता

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रस्ताव से EPF की मूल भावना, यानी सुरक्षित रिटायरमेंट को नुकसान पहुंच सकता है. लंबे समय तक लगातार बचत और चक्रवृद्धि ब्याज के ज़रिए ही एक मजबूत रिटायरमेंट कोष तैयार किया जा सकता है. इसलिए निकासी की शर्तों को सावधानी से तय करना जरूरी है ताकि अल्पकालिक जरूरतें लंबी अवधि की सुरक्षा को प्रभावित न करें.

तकनीकी तैयारियों की भी जरूरत

साथ ही विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि EPFO की मौजूदा आईटी व्यवस्था बार-बार होने वाले निकासी अनुरोधों को संभालने के लिए सक्षम नहीं है. इससे न केवल प्रणाली पर बोझ बढ़ेगा, बल्कि धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ सकते हैं. EPF स्कीम देश के करोड़ों वेतनभोगियों की रिटायरमेंट सुरक्षा का आधार है, जिसमें सरकार और कर्मचारी दोनों योगदान करते हैं. ऐसे में किसी भी बदलाव को लागू करने से पहले तकनीकी और वित्तीय स्तर पर पूरी तैयारी जरूरी होगी.