सोने की कीमतों में इस साल जिस तरह की मजबूती देखने को मिल रही है, उसने बाजार को चौंका दिया है. जनवरी से लेकर अब तक सोना लगभग हर महीने बढ़ा है और अब यह 46 साल बाद अपने सबसे मजबूत वार्षिक प्रदर्शन की ओर बढ़ रहा है. सोमवार को एमसीएक्स पर 5 फरवरी डिलीवरी वाले गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट में 700 रुपये से ज्यादा की तेजी दर्ज हुई. पिछला बंद भाव 1 लाख 27 हजार 667 रुपये प्रति 10 ग्राम था जबकि आज यह 1 लाख 28 हजार 352 रुपये पर खुला. सुबह सवा ग्यारह बजे सोना 713 रुपये की उछाल लेकर 1 लाख 28 हजार 380 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा था.
सोने की इस तेजी के पीछे सबसे बड़ा कारण अमेरिका से जुड़ी मौद्रिक नीति है. निवेशकों को उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व दिसंबर में ब्याज दरों को घटा सकता है. ब्याज दरें घटने पर सोने जैसे बिना ब्याज वाले निवेश अधिक आकर्षक हो जाते हैं और मांग बढ़ती है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका में सरकार के शटडाउन के कारण आर्थिक आंकड़ों के जारी होने में देरी हो रही है. इससे अनिश्चितता बढ़ी है और सुरक्षित निवेश माने जाने वाले सोने को मजबूत सपोर्ट मिला है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में शुक्रवार को सोना लगभग 4170 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गया. केवल एक सप्ताह में इसमें 2 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई. यह दिखाता है कि विश्व बाजार भी सोने की चमक को लेकर पूरी तरह सकारात्मक बना हुआ है.
नवंबर में सोना अपने रिकॉर्ड स्तर से थोड़ा नीचे आया था लेकिन फिर भी यह चार हजार डॉलर प्रति औंस के ऊपर बना रहा. यह इस बात का संकेत है कि सोने की कमजोरी सतही रही और लंबे समय की मांग मजबूत है.
पिछले तीन हफ्तों से गोल्ड ईटीएफ में लगातार इनफ्लो देखने को मिल रहा है. ईटीएफ में बढ़ता निवेश यह दिखाता है कि निवेशक सोने को लंबी अवधि के सुरक्षित विकल्प के रूप में देख रहे हैं. दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों का रुझान भी इसी दिशा में है. तीसरी तिमाही में सेंट्रल बैंकों ने कुल 220 टन सोना खरीदा जो पिछले साल की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत ज्यादा है. यह खरीदारी सोने की कीमत को स्थिर रखने के साथ साथ ऊंचा उठाने का भी काम कर रही है.
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल सोने की कीमतों में जो मजबूती आई है वह 1979 के बाद सबसे बड़ी मानी जा रही है. उस समय वैश्विक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता ने सोने को रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचाया था. आज भी दुनिया का आर्थिक माहौल स्थिर नहीं है. अमेरिका, यूरोप और एशिया सभी जगह निवेशक सुरक्षित विकल्पों की तलाश में हैं. ऐसे में सोने की मांग प्राकृतिक रूप से बढ़ रही है और कीमतों का ऊपर रहना तय माना जा रहा है.
कई विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर वैश्विक ब्याज दरें लगातार नीचे आती रहीं तो सोने की कीमतें आने वाले महीनों में और तेजी दिखा सकती हैं. मुद्रा बाजार में उतार चढ़ाव और भू राजनीतिक तनाव भी इसकी चमक को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं.