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दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों की कमी: मारुति सुजुकी की पहली इलेक्ट्रिक कार ई विटारा के उत्पादन पर संकट, EV मार्केट में आ सकती है मंदी

एक उद्योग विशेषज्ञ ने एक मीडिया चैनल को बताया कि यदि दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों की आपूर्ति में कमी लंबे समय तक बनी रहती है, तो सभी मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) पर इसका असर पड़ेगा. उन्होंने कहा, “यदि यह समस्या बनी रही, तो इलेक्ट्रिक कार क्षेत्र में अब तक हुई प्रगति पटरी से उतर सकती है.”

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Shortage of rare earth magnets EV market may face slowdown

भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की पहली इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) ई विटारा के उत्पादन पर दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों की कमी ने गंभीर असर डाला है. उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इस संकट से भारत के नए इलेक्ट्रिक कार बाजार में अस्थायी मंदी आ सकती है.

ई विटारा के उत्पादन पर प्रभाव

मारुति सुजुकी सितंबर 2025 तक भारत में ई विटारा की बिक्री शुरू करने की योजना बना रही है. कंपनी मार्च 2026 तक इस इलेक्ट्रिक एसयूवी के 67,000 यूनिट्स का उत्पादन करना चाहती है. हालांकि, चीनी निर्यात प्रतिबंधों के कारण दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों की आपूर्ति में कमी से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के लिए उत्पादन लक्ष्य प्रभावित हुआ है. 

एक मीडिया चैनल को एक सूत्र ने बताया कि कंपनी ने शुरू में वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में 26,000-27,000 यूनिट्स का उत्पादन करने की योजना बनाई थी. मारुति के चेयरमैन आर सी भार्गव ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के परिणामों के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “ई विटारा की अधिकांश उत्पादन क्षमता निर्यात बाजारों के लिए है.” गुजरात संयंत्र में निर्मित यह इलेक्ट्रिक एसयूवी जापान और यूरोपीय देशों सहित 100 से अधिक देशों में निर्यात की जाएगी.

उद्योग पर व्यापक प्रभाव
एक उद्योग विशेषज्ञ ने एक मीडिया चैनल को बताया कि यदि दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों की आपूर्ति में कमी लंबे समय तक बनी रहती है, तो सभी मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) पर इसका असर पड़ेगा. उन्होंने कहा, “यदि यह समस्या बनी रही, तो इलेक्ट्रिक कार क्षेत्र में अब तक हुई प्रगति पटरी से उतर सकती है.”

भारत में इलेक्ट्रिक कार बाजार की स्थिति
भारत में इलेक्ट्रिक यात्री वाहन (पीवी) खंड अभी प्रारंभिक अवस्था में है और यह कुल कार बिक्री का 3% से भी कम हिस्सा है. सीमित वाहन विकल्पों और अपर्याप्त चार्जिंग ढांचे के कारण इस खंड में वृद्धि धीमी रही है. आंकड़ों के अनुसार, इलेक्ट्रिक कार की बिक्री 2020 में 4,775 यूनिट्स से बढ़कर 2021 में 14,670, 2022 में 47,640, 2023 में 90,632, 2024 में 1,06,966 और 2025 (जनवरी-मई) में 69,373 यूनिट्स रही.

दुर्लभ पृथ्वी चुंबक क्या हैं?
दुर्लभ पृथ्वी चुंबक, जैसे नियोडिमियम (Nd), प्रासियोडिमियम (Pr), डिस्प्रोसियम (Dy) और terbium (Tb) से बने शक्तिशाली स्थायी चुंबक हैं. इनमें नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (NdFeB) और समैरियम-कोबाल्ट (SmCo) चुंबक शामिल हैं, जो क्रमशः उच्च प्रदर्शन और उच्च-तापमान अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी हैं.

ऑटोमोटिव क्षेत्र में उपयोग
इलेक्ट्रिक वाहनों में ये चुंबक ट्रैक्शन मोटर्स, जैसे परमानेंट मैग्नेट सिंक्रोनस मोटर्स (PMSM), इलेक्ट्रिक पावर स्टीयरिंग, रीजेनरेटिव ब्रेकिंग, इलेक्ट्रॉनिक सेंसर और HVAC सिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. औसतन, एक इलेक्ट्रिक कार में लगभग 2 किलोग्राम दुर्लभ पृथ्वी चुंबक उपयोग होते हैं.

आपूर्ति श्रृंखला पर संकट
प्राइमस पार्टनर्स के उपाध्यक्ष निखिल ढाका ने एक मीडिया चैनल को बताया, “चीन वैश्विक परिष्कृत चुंबक उत्पादन का 92% हिस्सा नियंत्रित करता है. निर्यात प्रतिबंधों के कारण आपूर्ति बाधित होने से लागत बढ़ सकती है और गंभीर आपूर्ति बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं.” उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जुलाई 2025 तक आपूर्ति बहाल नहीं हुई, तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है.

ढाका ने कहा, “लंबे समय में, भारत के ईवी रोडमैप में यह एक रणनीतिक कमजोरी को उजागर करता है. स्वदेशी चुंबक विनिर्माण क्षमता के बिना, उत्पादन लक्ष्य और निर्यात प्रतिस्पर्धा पर जोखिम बढ़ेगा. आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण, वैकल्पिक अनुसंधान और स्वदेशी चुंबक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की तत्काल आवश्यकता है.”