नई दिल्ली: वाहन चलाने वाले ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि पेट्रोल, डीजल या CNG कभी खराब नहीं होते. यही वजह है कि कई बार गाड़ी लंबे समय तक खड़ी रहती है और टैंक में भरा ईंधन जस का तस पड़ा रहता है. लेकिन हकीकत इससे थोड़ी अलग है. ईंधन भी समय के साथ अपनी गुणवत्ता खो सकता है, जिसका असर सीधे वाहन की परफॉर्मेंस और इंजन की सेहत पर पड़ता है.
आज के दौर में महंगे ईंधन और बढ़ती मेंटेनेंस लागत को देखते हुए यह जानना जरूरी हो गया है कि कौन सा ईंधन कितने समय तक सुरक्षित रहता है. गलत या पुराना ईंधन न सिर्फ माइलेज कम करता है, बल्कि स्टार्टिंग समस्या और इंजन डैमेज की वजह भी बन सकता है. ऐसे में पेट्रोल, डीजल और CNG की एक्सपायरी से जुड़ी सच्चाई जानना हर वाहन मालिक के लिए जरूरी है.
पेट्रोल की कोई तय एक्सपायरी डेट नहीं होती, लेकिन सामान्य तौर पर यह 3 से 6 महीने तक ही अच्छी गुणवत्ता में रहता है. समय बीतने के साथ इसमें मौजूद केमिकल्स उड़ने लगते हैं, जिससे इसकी ज्वलन क्षमता कम हो जाती है. लंबे समय तक खड़े वाहन में पुराना पेट्रोल होने से इंजन स्टार्ट होने में दिक्कत आ सकती है.
डीजल पेट्रोल की तुलना में थोड़ा ज्यादा टिकाऊ होता है और 6 से 12 महीने तक इस्तेमाल लायक रह सकता है. हालांकि नमी और गंदगी मिलने पर डीजल जल्दी खराब हो जाता है. पुराने डीजल से फ्यूल फिल्टर जाम होना, धुआं ज्यादा निकलना और इंजन की आवाज बढ़ना जैसी दिक्कतें सामने आ सकती हैं.
CNG गैस की खुद कोई एक्सपायरी नहीं होती, क्योंकि यह दबाव में भरी जाती है. लेकिन CNG सिलेंडर की वैधता तय होती है, जो आमतौर पर 3 से 5 साल की होती है. तय समय के बाद सिलेंडर की टेस्टिंग जरूरी होती है, वरना यह असुरक्षित हो सकता है.
जब ईंधन लंबे समय तक इस्तेमाल में नहीं आता, तो उसमें जमा गंदगी और केमिकल बदलाव इंजन के पार्ट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे माइलेज घटता है और मेंटेनेंस खर्च बढ़ जाता है. कई मामलों में फ्यूल सिस्टम की पूरी सफाई करानी पड़ती है.
अगर आपकी गाड़ी लंबे समय तक खड़ी रहने वाली है, तो टैंक में ज्यादा ईंधन न रखें. समय-समय पर वाहन स्टार्ट करें और जरूरत हो तो पुराना ईंधन बदलवा दें. इससे इंजन सुरक्षित रहेगा और भविष्य में बड़ी खराबी से बचा जा सकेगा.