Pitambara Temple Datia: जगतजननी का ऐसा दरबार, जहां पर सुनी जाती है भक्तों की हर पुकार
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में देवी का एक ऐसा मंदिर हैं, जहां पर कोई भी पुकार अनसुनी नहीं की जाती है. यह शक्तिपीठ माता पीतांबरा का है, जो राजसत्ता की देवी कहलाती हैं.

हाइलाइट्स
- राजसत्ता दिलाती हैं पीताम्बरा माई
- दरबार में मौजूद हैं खंडेश्वर महादेव और माता धूमावती
Pitambara Temple Datia : भारत देश में कई देवी और देवताओं के कई सारे मंदिर हैं, इनमें से कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जहां के रहस्य के बारे में वैज्ञानिक आजतक कुछ नहीं जान पाए हैं.ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित हैं, जिसे मां पीतांबरा शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. दतिया के इस शक्तिपीठ माता बगलामुखी का दरबार लगता है. राजा हो या रंक मां के लिए यहां सभी समान हैं.
इस दरबार से कोई भी व्यक्ति कभी भी खाली हाथ नहीं जाता है. राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा और अर्चना करते हैं. मां पीतांबरा शत्रु का नाश करने वालीं और राजसत्ता दिलाने वालीं देवी मानी जाती हैं.राजसत्ता की प्राप्ति के लिए माता की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. इसके साथ ही मुकदमों में विजय पाने के लिए भी लोग माता के दर्शन को आते हैं.
खंडेश्वर महादेव और मां धूमावती का भी मिलता है दर्शन
इस दरबार में मां पीतांबरा (बगलामुखी) के साथ ही खंडेश्वर महादेव और धूमावती माता के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त होता है. धूमावती धाम में मां विधवा रूप में विराजमान है. इस कारण मां के इस स्वरूप के दर्शन सुहागिन महिलाएं नहीं करती हैं. धूमावती मां, देवी की 10 महाविद्याओं में से एक हैं. सबसे अनोखी बात यह है कि भक्तों को मां धूमावती के दर्शन का सौभाग्य केवल आरती के समय ही मिलता है, बाकी समय मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.
कब हुई थी मंदिर की स्थापना
मां पीतांबरा सिद्धपीठ की स्थापना साल 1935 में परम तेजस्वी स्वामी जी के द्वारा की गई थी. मां पीतांबरा के जन्मस्थान, नाम और कुल का रहस्य आज तक रहस्य ही है. मां का यह चमत्कारी धाम स्वामी जी के तप और जप से ही एक सिद्धपीठ के रूप में जाना जाता है.
मंदिर के आचार्य बताते हैं कि यहां चतुर्भुज रूप में विराजमाना जगतजननी के एक हाथ में गदा, दूसरे में पाश और तीसरे हाथ वज्र व चौथे हाथ में उन्होंने राक्षस की जिह्वा थाम रखी है. माता, भक्तों के जीवन में आएदिन चमत्कार करती हैं. इस दरबार में मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की के माध्यम से होते हैं. दर्शनार्थियों को मां की प्रतिमा को स्पर्श करने की मनाही है.
चढ़ाई जाती हैं पीले रंग की वस्तुएं
माना जाता हैं कि मां को पीला रंग काफी पसंद है. इस कारण उन्हें पीले रंग की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं. जब भी कोई अनुष्ठान किया जाता है तो भक्त पीले रंग के ही वस्त्र धारण करते हैं. विधि-विधान से अनुष्ठान पूरा कर लिया जाए तो नामुमकिन चीज भी मुमकिन हो जाती है. माता को राजसत्ता की देवी माना जाता है. राजनीति में खुद को स्थापित करने के लिए लोग माता के दरबार आते हैं और गुप्त पूजा अर्चना करते हैं. इसके अलावा माता को शत्रु का नाश करने वाली कहा जाता है. इस कारण माता के दर्शन मात्र से शत्रुओं का नाश होता है. इसके अलावा माता के पूजन से सुख और समृद्धि आती है.
तंत्र साधना का भी है स्थल
यहां पर प्राचीन हनुमान, गणेश और बटुक भैरवनाथ का विग्रह भी मौजूद है. सिद्धपीठ श्रीपीतांबरा मंदिर में अद्भुत 4 दरवाजे हैं. चारों दिशाओं पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में देवी-देवताओं के विग्रह स्थापित हैं. यहां मोक्ष प्रदान करने वाला हरिद्रा कुंड भी स्थित है. यहां भगवानों के तमाम विग्रह मिलकर तंत्र साधना के अलावा सहज दर्शनों से राजसत्ता प्राप्ति के योग बनाते हैं. इस मंदिर को वास्तु के अनुकूल माना जाता है. यहां पर लोग तंत्र साधना और सिद्धि प्राप्त करने के लिए भी साधना करते हैं. इसके अलावा कई राजनेता भी यहां पर आते हैं. माता के दर्शन मात्र से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं.
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