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Govardhan Puja 2023 : क्यों मनाया जाता है गोवर्धन पूजा का पर्व और क्या है इसका महत्व?

Govardhan Puja 2023 : दीपावली के दूसरे दिन गोर्वधन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन किया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र का घमंड तोड़ा था.

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Edited By: Mohit Tiwari
Govardhan Puja 2023 : क्यों मनाया जाता है गोवर्धन पूजा का पर्व और क्या है इसका महत्व?

Govardhan Puja 2023 : दीपावली के अगले दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. साल 2023 में यह 14 नवंबर को पड़ेगी. गोवर्धन पूजा के दिन कहीं-कहीं अन्नकूट पूजा भी की जाती है. इस दिन अन्नकूट का को भोग लगाने की भी परंपरा है. इस दिन आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है और विधि-विधान से पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का भी पूजन किया जाता है.

क्यों मनाया जाता है गोवर्धन पूजा का पर्व?

इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. मान्यता के अनुसार एक बार स्वर्गलोक के राजा देवराज इंद्र को अभिमान हो गया था. एक बार सभी ब्रजवासी घर पर तरह-तरह के पकवान बना रहे थे. वृंदावन में पूजा का मंडप सजाया जा रहा था. सभी लोग सुबह से ही पूजन सामग्री इकट्ठा करने में व्यस्त थे. इस पर श्रीकृष्ण ने माता यशोदा से पूछा कि ये सभी लोग किस पूजा की तैयारी कर रहे हैं तो यशोदा मईया ने उन्हें बताया कि ब्रजवासी इंद्रदेव के पूजन की तैयारी कर रहे हैं. इस पर कान्हा ने कहा कि लोग इंद्रदेव की पूजा क्यों करते हैं, तब यशोदा मां ने उन्हें बताया कि इंद्रदेव की पूजा करने से बरसात होती है और इससे अन्न की पैदावार अच्छी होती है और हमारी गायों को चारा प्राप्त होता है.

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ब्रजवासियों ने मान ली कान्हा की बात

यशोदा मां की इस बात को सुनकर कान्हा ने कहा कि यदि पूजा करनी है तो गोवर्धन पर्वत करनी चाहिए, क्योंकि वहां हमारी गाय चरती हैं और हमें फूल-फल, सब्जियां आदि सभी गोवर्धन पर्वत से ही प्राप्त होती हैं. इसके बाद सभी ब्रजवासियों को कान्हा की बात सही लगी, और वे सभी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे. इस बात पर देवराज इंद्र ने खुद को अपमानित समझा और क्रोध में आकर भारी वर्षा करने लगे. इस पर वृंदावन में तेज बारिश होने लगी और चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई. सात दिनों तक लगातार मूसलाधार बारिश होती रही.

छोटी अंगुली पर उठा लिया गोवर्धन

इस पर ब्रजवासियों ने कहा कि यह सब कान्हा की बात मानने से हुआ है. इस पर श्रीकृष्ण ने बोला कि सभी लोग गोवर्धन पर्वत की शरण में चलें. भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ की छोटी अंगुली पर उठा लिया. सारे ब्रजवासी पर्वत की छाया में आ गए. इसके बाद इंद्र ब्रह्मा के पास गए और उनको बताया कि कृष्ण कोई साधारण मानव नहीं हैं तो ब्रह्मा जी ने इंद्र को बताया कि श्रीकृष्ण स्वयं नारायण का अवतार हैं. इस पर इंद्र को लज्जा आई और उन्होंने कान्हा से क्षमा मांगी. इसके बाद देवराज इंद्र ने कान्हा की पूजा की. उस दिन से गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाने लगा.

इस दिन कैसे करें पूजा?

गोवर्धन पूजा के दिन अपने कुल देव या देवी का ध्यान करके गोबर से प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत बनाएं. इसके बाद उनकी विधि-विधान से पूजा करें. इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण को दूध से स्नान कराएं. इसके बाद उनको अन्नकूट का भोग लगाएं. इसके साथ ही गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमा करें.

श्रीकृष्ण को किन चीजों का लगाएं भोग

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण के लिए छप्पन भोग बनाया जाता है. छप्पन भोग में मीठे, तीखे, खट्टे सभी तरह के व्यंजन शामिल होते हैं. इसमें चावल, दाल, चटनी, मुरब्बा, मठरी, मिठाई, खुरमा, खीर, मक्खन, रबड़ी, मोहन भोग तक लगाया जाता है.

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