Chitragupta Puja 2023: हिंदू धर्म में चित्रगुप्त पूजा का बहुत ही महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है. इसी दिन भाई दूज भी मनाया जाता है. यानी जिस दिन भाई दूज मनाया जाता है उसी दिन चित्रगुप्त पूजा भी होती है. धार्मिक मान्यता है कि इस चित्रगुप्त मृत्यु के देवता यमराज के सहयोगी हैं. चित्रगुप्त भगवान मनुष्यों के कर्मों का हिसाब-किताब रखते हैं. इस दिन भगवान चित्रगुप्त के कलम और दवात की भी पूजा की जाती है.
हिंदू धर्म में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का विशेष महत्व है. ये तिथि 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर 15 नवंबर 1 बजकर 45 मिनट तक रहेगी.
चित्रगुप्त महाराज की पूजा करने का शुभ मुहूर्त 15 नवंबर की सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक रहेगा.
ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करने का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 1 मिनट से लेकर 5 बजकर 52 मिनट तक रहेगा.
चित्रगुप्त महाराज की पूजा के लिए सबसे पहले चित्रगुप्त देव की तस्वीर या मूर्ति लें लें. उसके अलावा सफेद कागज, कलम, दवात, खाताबही, पीले वस्त्र, अक्षत, फूल, माला, चंदन, कपूर, तुलसी के पत्ते, गंगाजल, शहद, धूप, दीप, नैवेद्य, मिठाई, फल, पान, सुपारी, तिल, पीली सरसों, रोली, अक्षत, शहद, गंगाजल, गुलाल, तुलसी का पत्ता आदि पूजन सामग्री लें.
लकड़ी की चौकी में लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और उस पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें.
चित्रगुप्त महाराज को जल अर्पित करें. उन्हें फल, फूल, धूप-दीप दिखाएं.
इसके बाद विधि विधान से अक्षत लगाकर चित्रगुप्त जी की पूजा करें.
चित्रगुप्त के सामने कलम और दवात सामने रखें.
आपने जो सफेद कागज लिया है उसमें हल्दी लगाएं और उस पर श्री गणेशाय नमः: जरूर लिखें. और नीचे अपना नाम लिखें.
उसी कागज पर कम से कम 11 बार ॐ चित्रगुप्ताय नम: लिखें.
भगवान चित्रगुप्त को भोग लगाएं. उनकी आरती करें. पूजा करने के बाद जिस पेन से कागज पर आपने लिखा है उसे अपने पास रख लें. और उसकी का इस्तेमाल अपने दैनिक जीवन में करें.
Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.
यह भी पढ़ें- Bhai Dooj 2023: भाई दूज के पर्व पर बहनें अपने भाईयों को देती हैं नारियल, जानें इसके पीछे की मान्यता?