Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और उत्तरायण की शुरुआत का प्रतीक है. यह त्योहार न केवल खगोलीय महत्व रखता है, बल्कि इससे जुड़ी अनेक पौराणिक और लोक कथाएं भी हैं जो इसे और भी विशेष बनाती हैं.
एक पौराणिक कथा के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर आतंक मचा रहे असुरों का वध किया और उनके सिरों को मंदार पर्वत पर दबा दिया. इस घटना को धर्म और सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है.
महाभारत में कहा गया है कि भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु के लिए मकर संक्रांति का दिन चुना. उनके अनुसार, उत्तरायण में मृत्यु होने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस कारण यह दिन मोक्ष प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है.
एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर भागीरथ की तपस्या के फलस्वरूप अवतरित हुई थीं. इसे गंगा स्नान और दान-पुण्य का अत्यधिक महत्वपूर्ण दिन माना गया.
1. खिचड़ी का महत्व
उत्तर भारत में मान्यता है कि संक्रांति के दिन दाल-चावल की खिचड़ी खाने और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके पीछे यह मान्यता है कि भगवान सूर्य इस दिन प्रसन्न होकर सभी को आशीर्वाद देते हैं.
गुजरात और राजस्थान में मकर संक्रांति को पतंग उत्सव के रूप में मनाया जाता है. यह पतंग उड़ाने की परंपरा जीवन में नई ऊंचाई और प्रकाश का प्रतीक मानी जाती है.
महाराष्ट्र में तिल और गुड़ के लड्डू बांटने की परंपरा है. इसका अर्थ है दूसरों के साथ प्रेम और सौहार्द्र बनाए रखना.
मकर संक्रांति न केवल खगोलीय घटना है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं से गहराई से जुड़ा हुआ है. यह त्योहार आत्मा की शुद्धि, दान-पुण्य, और सामूहिकता का संदेश देता है. चाहे यह पौराणिक कथाएं हों या लोक परंपराएं, मकर संक्रांति का हर पहलू जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरने का प्रतीक है.