Ganga Dussehra Niyam: गंगा दशहरा, हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है, जिसे ज्येष्ठ मास की शुक्ल दशमी तिथि को बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं, जिससे समस्त धरा और मानवता को पापों से मुक्ति मिली. यह पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.
इस दिन गंगा स्नान, दान, मंत्र जाप और पूजन का विशेष महत्व होता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किए गए शुभ कर्मों का फल दस गुना बढ़कर मिलता है. गंगा दशहरा के दिन यदि श्रद्धा और नियमों के साथ व्रत और पूजन किया जाए, तो व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि और पापों से मुक्ति की प्राप्ति होती है.
लेकिन इस पुण्य तिथि पर कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें करना वर्जित माना गया है. यदि श्रद्धालु इन बातों का ध्यान न रखें, तो वे पुण्य लाभ से वंचित भी हो सकते हैं. इसलिए इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि गंगा दशहरा पर क्या करें और किन कार्यों से बचें, ताकि मां गंगा की कृपा सदैव आपके जीवन में बनी रहे.
गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें – इससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है.
गंगा जल से अभिषेक करें – देवी-देवताओं पर गंगा जल अर्पित करें, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है.
गाय, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को दान दें – अन्न, वस्त्र, पंखा, जल पात्र आदि दान करना शुभ माना जाता है.
गंगा स्तोत्र और दशहरा की कथा का पाठ करें – इससे मन को शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है.
गृह शुद्धि के लिए घर में गंगा जल छिड़कें – इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
गंगा या किसी पवित्र नदी में अपवित्र वस्तुएं न डालें – यह धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना जाता है.
मांस-मदिरा का सेवन न करें – यह दिन पूर्ण सात्विकता का प्रतीक है.
किसी से झगड़ा, कटु वचन या निंदा न करें – ऐसा करने से पुण्य का क्षय होता है.
शाम के समय नदी किनारे गंदगी न फैलाएं – यह पर्यावरण और धर्म दोनों के विरुद्ध है.
गंगा दशहरा का पर्व आध्यात्मिक शुद्धि और प्रकृति से जुड़ाव का दिन है. इन सरल नियमों का पालन कर आप भी अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकते हैं.