Ganesh Mahotsav 2023: गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में मनाया जाता है. यह पर्व 10 दिनों तक चलता है. इन 10 दिनों में गणेश महोत्सव को काफी धूमधाम से मनाया जाता है. ये पर्व गणेश चतुर्दशी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है. इस दौरान भक्त बप्पा को तरह-तरह के भोग लगाते हैं और उनकी पूजा करते हैं. इस दौरान भगवान गणेश के वाहन मूषकराज का भी पूजन किया जाता है. क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान गणेश के शरीर की बनावट की अपेक्षा उनका वाहन छोटा सा मूषक क्यों है. अगर नहीं तो हम आज आपको बताते हैं कि आखिर मूषक भगवान गणेश का वाहन कैसे बना. इसके पीछे कई सारी कहानियां प्रचलित हैं.
पुराणों के अनुसार देवराज इंद्र के दरबार में एक क्रौंच नामक गंधर्व था. एक बार वह अप्सराओं के साथ हंसी ठिठोली करने में व्यस्त था और इसी दौरान उसने एक ऋषि वामदेव के ऊपर पैर रख दिया. इससे ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने क्रौंच नामक गंधर्व को चूहा बनने का श्राप दे दिया. चूहा बनते ही वह पराशर ऋषि के आश्रम में जा गिरा, वहां जाते ही उसने भयंकर उत्पात मचाया और आश्रम के सारे मिट्टी के पात्र तोड़ दिए. इसके साथ ही वह सारा अनाज खा गया और वाटिका को भी उजाड़ दिया. ऋषियों के सारे वस्त्र और ग्रंथ की कुतर डाले. यह देखकर ऋषि पराशर काफी दुखी हुए और सोचने लगे कि इस चूहे के आतंक को कैसे खत्म किया गया.
जब भगवान गणेश ऋषि पराशर के आश्रम आए तो उन्होंने उनको मूषक की करतूत बताई. इसके बाद भगवान गणेश ने उस मूषक को पकड़ने के लिए अपना पाश फेंका. पाश ने पाताल लोक से मूषक को खोजकर गणेश जी के सामने उपस्थित कर दिया. पाश उस मूषक के गले में बंधा था, जिससे वह मूर्छित हो गया. होश में आने के बाद उसने गणेश जी अपने प्राणों की भीख मांगी. गणेश जी ने उसको पाश से मुक्त कर दिया और वरदान मांगने को कहा तो उसने इससे इंकार कर दिया. इसके बाद मूषक ने भगवान गणेश से कहा कि आप चाहें तो मुझसे वर की याचना कर सकते हैं. मूषक के गर्व भरे ये बोल सुनकर गणेश जी मुस्कुराए और बोले की आप मेरे वाहन बन जाइए. इस प्रकार मूषक राज गणेश जी का वाहन बन गए.
दूसरी कहानी कुछ इस प्रकार से है कि एक बार गजमुखासुर नाम के राक्षस ने अपने बाहुबल से देवताओं को बहुत परेशान कर दिया था. सभी देवता एक साथ भगवान गणेश के पास मदद मांगने पहुंचे, तब भगवान गणेश ने उन्हें गजमुखासुर से मुक्ति दिलाने के लिए उससे युद्ध किया. उस युद्ध गणेश जी का एक दांत टूट गया. इसके बाद क्रोधित होकर भगवान गणेश ने टूटे दांत से गजमुखासुर पर प्रहार किया. इस प्रहार से घबराकर वह चूहा बनकर भागा, लेकिन गणेश जी ने उसे पकड़ लिया. मृत्यु के भय से वह क्षमा मांगने लगा तब गणेश जी ने उसे अपना वाहन बना लिया.
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