menu-icon
India Daily

मूवी लवर्स को तगड़ा झटका, 200 रूपये से ज्यादा टिकट नहीं बेचने के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

Karnataka HC: कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस शासित राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम स्थगन प्रदान किया, जिसमें मल्टीप्लेक्स और पारंपरिक सिनेमाघरों में टिकट की अधिकतम कीमत ₹200 तय की गई थी.

Karnataka High Court
Courtesy: x/ @IndianTechGuide

Karnataka Cinema Rules 2025: कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस शासित राज्य सरकार के आदेश पर अंतरिम स्थगन प्रदान किया, जिसमें मल्टीप्लेक्स और पारंपरिक सिनेमाघरों में टिकट की अधिकतम कीमत ₹200 तय की गई थी. इस फैसले के बाद फिलहाल राज्य सरकार का निर्धारित टिकट मूल्य लागू नहीं होगा. न्यायालय के इस अंतरिम आदेश से राज्य में सिनेमाघरों की टिकट मूल्य सीमा लागू होने की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है. न्यायालय ने यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रवि वी. होसमानी की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा दिया.

न्यायालय में दायर याचिकाएं और बहस

मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया और अन्य हितधारकों द्वारा दायर याचिकाओं में सरकार के आदेश को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं का दावा था कि राज्य सरकार ने बिना किसी उद्योग से परामर्श के 2025 में संशोधित कर्नाटक सिनेमा (नियमन) नियमों के तहत टिकट मूल्य तय किया, जो कि 1964 के नियमों के खिलाफ है.

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत में तर्क दिया, “टिकट की कीमत ₹200 तय कर दी गई है, लेकिन इस तय कीमत का आधार क्या है? यदि ग्राहक अधिक मूल्य देने के इच्छुक हैं, तो हर किसी के लिए एक समान नियम लागू करना न्यायसंगत नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि अप्रैल 2017 में भी ऐसी ही कीमत सीमा लागू की गई थी, जिसे हाईकोर्ट ने बाद में रद्द कर दिया था. वर्तमान संशोधन उसी अवैध नियम को पुनः पेश करने जैसा है.”

सिनेमा उद्योग की मुख्य आपत्तियां

रोहतगी ने आगे कहा, “सरकार या प्राधिकरण को निश्चित टिकट मूल्य लागू नहीं करना चाहिए, क्योंकि व्यवसाय इस आधार पर निवेश करते हैं कि वे गुणवत्ता और सेवाओं के अनुसार अलग-अलग मूल्य तय कर सकते हैं. मूल्य निर्धारण बाजार की मांग पर आधारित होना चाहिए.” होंबाले फ़िल्म्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ध्यान चिनप्पा ने कहा कि नियम संशोधन के बहाने कानून में बदलाव करना पूरी तरह अवैध है.

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त अधिवक्ता जनरल एस. इस्माइल जबीउल्ला ने बताया कि यह निर्णय जनहित में लिया गया है और यह सरकार के संवैधानिक अधिकारों के अंतर्गत आता है. उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी कानून केवल तभी चुनौती के योग्य है जब वह विधायिका की शक्तियों से बाहर जाए, मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करे, संविधान के खिलाफ हो या स्वाभाविक रूप से असंगत हो.

अंतरिम आदेश का प्रभाव

सरकार ने 13 सितंबर को संशोधित नियम लागू किए, जिनके अनुसार सामान्य सिनेमा टिकट की अधिकतम कीमत ₹200 (करों को छोड़कर) तय की गई है. इसका उद्देश्य सिनेमाघरों को आम जनता के लिए और अधिक सुलभ और किफायती बनाना है. इस नियम में विशेष छूट भी है.

75 सीट या उससे कम वाले प्रीमियम फॉर्मेट स्क्रीन को मूल्य सीमा का पालन नहीं करना होगा और वे अपनी कीमतें स्वतंत्र रूप से तय कर सकते हैं. हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के अनुसार, फिलहाल ₹200 टिकट मूल्य सीमा लागू नहीं होगी. अंतिम निर्णय आने तक सिनेमाघरों को अपनी मूल्य नीति जारी रखने की अनुमति है.