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Chaitra Navratri 2025: मां दुर्गा की सवारी से क्या होंगे शुभ-अशुभ संकेत? जानें नवरात्रि का विशेष योग

नवरात्रि का त्यौहार देवी दुर्गा की आराधना का एक अनूठा अवसर है, जिसमें भक्त नौ दिनों तक मां के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं. यह न केवल भक्ति का समय है, बल्कि धर्म और अध्यात्म की गहराइयों में उतरने का भी समय है.

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Edited By: Ritu Sharma
Chaitra Navratri 2025
Courtesy: Social Media

Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है, जिसे साल में चार बार मनाया जाता है. चैत्र नवरात्रि विशेष रूप से शुभ मानी जाती है और इसकी शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. इस वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होगी और 7 अप्रैल को रामनवमी के साथ समाप्त होगी.

कलश स्थापना और शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जिसे बहुत शुभ माना जाता है. इस वर्ष कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:-

  • घटस्थापना मुहूर्त: 30 मार्च 2025, सुबह 06:13 से 10:22 तक
  • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:01 से 12:50 तक

नौ दिनों की देवी आराधना और पूजा का महत्व

बताते चले कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें प्रत्येक दिन एक विशेष देवी का पूजन होता है, जिससे श्रद्धालुओं को अलग-अलग प्रकार के फल प्राप्त होते हैं.

चैत्र नवरात्रि 2025 का पूजा कैलेंडर:-

दिन तिथि वार देवी
पहला दिन 30 मार्च रविवार मां शैलपुत्री
दूसरा दिन 31 मार्च सोमवार मां ब्रह्मचारिणी
तीसरा दिन 1 अप्रैल मंगलवार मां चंद्रघंटा
चौथा दिन 2 अप्रैल बुधवार मां कूष्मांडा
पांचवा दिन 3 अप्रैल गुरुवार मां स्कंदमाता
छठा दिन 4 अप्रैल शुक्रवार मां कात्यायनी
सातवां दिन 5 अप्रैल शनिवार मां कालरात्रि
आठवां दिन 6 अप्रैल रविवार मां महागौरी
नवां दिन 7 अप्रैल सोमवार मां सिद्धिदात्री

 

मां दुर्गा का आगमन और शुभ संकेत

 

आपको बता दें कि 2025 में चैत्र नवरात्रि का आरंभ और समापन दोनों रविवार को हो रहा है. मान्यता के अनुसार, यदि माता दुर्गा की सवारी हाथी होती है, तो ये साल और समृद्धि का संकेत देता है. इसका अर्थ है कि इस साल अच्छी बारिश होगी, जिससे फसलें लहलहाएंगी और देश में खुशहाली आएगी.

महत्व और धार्मिक अनुष्ठान

बताते चले कि नवरात्रि के दौरान घरों और मंदिरों में अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है, देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है. नौ दिनों तक व्रत रखने और कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है.

उत्सव और भक्ति का माहौल

हालांकि, इस पावन समय में लोग मां दुर्गा की पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं और जगह-जगह भजन-कीर्तन होते हैं. रामनवमी के दिन, भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है.

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि हम किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.)